14 नवंबर (वेदांत समाचार)। दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर जैसा बन गया है. नोएडा लगातार दूसरे दिन देश का सबसे प्रदूषित रहा. शहर में हवा का गुणवत्ता सूचकांक 464 रिकॉर्ड किया गया. वहीं, दिल्ली समेत गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद व गुरुग्राम की हवा भी गंभीर स्तर में बनी रही. देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक जा पहुंचा है. लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution in Delhi) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इमरजेंसी के हालात करार देते हुए राज्य सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में लॉकडाउन लागू करने का सुझाव दिया. इसके बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए कई आपात उपायों की घोषणा की जिनमें एक सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद करना, निर्माण गतिविधियों पर रोक और सरकारी कर्मचारियों के लिए घर से काम करना (वर्क फ्रॉम होम) समेत चार अहम फैसले लिए गए हैं.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बढ़े प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहराया है. केजरीवाल ने एक आपात बैठक के बाद कहा कि उनकी सरकार केंद्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अन्य एजेंसियों से चर्चा के बाद लॉकडाउन का प्रस्ताव भी शीर्ष अदालत के समक्ष पेश करेगी.
राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीसरे दिन शनिवार को वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही और इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक(एक्यूआई) 473 रहा. एक दिन पहले की तुलना में इसमें कुछ सुधार हुआ. पड़ोस के गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमशः 441, 441, 423, 464 और 408 रहा.
सोमवार से स्कूल एक सप्ताह के लिए बंद
केजरीवाल ने कहा कि वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को देखते हुए सोमवार से स्कूल एक सप्ताह के लिए बंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों के संबंध में ‘वर्क फ्रॉम होम’ लागू किया जाएगा और निजी कार्यालयों के लिए अलग से परामर्श जारी किया जायेगा. दिल्ली में 14 से 17 नवंबर तक निर्माण गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम सोमवार से एक सप्ताह के लिए स्कूलों को बंद कर रहे हैं ताकि हमारे बच्चों को अपने घरों से बाहर न निकलना पड़े और प्रदूषित हवा में सांस न लेनी पड़े.’’
‘आपात स्थिति’, लोग अपने घरों के भीतर पहन रहे हैं मास्क
इससे पहले, न्यायालय ने केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं.
प्रदूषण के स्तर में वृद्धि को ‘आपात स्थिति’ बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के सभी सरकारी कार्यालय एक सप्ताह के लिए बंद रहेंगे, लेकिन सभी अधिकारी घर से काम करेंगे. सभी निजी कार्यालयों को घर से काम करने की सलाह दी जाएगी.’
फिलहाल लॉकडाउन नहीं लगेगा
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बारे में पूछे जाने पर केजरीवाल ने कहा कि आप सरकार फिलहाल लॉकडाउन नहीं लगा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार, सीपीसीबी, सफर को विश्वास में लेंगे. अगर स्थिति बिगड़ती है, तो सभी निजी वाहन, परिवहन, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को रोका जा सकता है. प्रस्ताव (लॉकडाउन के लिए) न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा.’’
इस बीच, पर्यावरणविदों ने केजरीवाल द्वारा घोषित आपातकालीन उपायों को मामूली समाधान करार दिया और समस्या के दीर्घकालिक समाधान का आह्वान किया.
केजरीवाल ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण बढ़ा है. हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि 30 सितंबर तक वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 से नीचे के रहने साथ हवा भी साफ थी, लेकिन पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के कारण प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘यह दोषारोपण का समय नहीं है. दिल्ली सरकार दिल्लीवासियों और बच्चों को इस तरह की आपात स्थिति से राहत देना चाहती है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वे ताजी हवा में सांस लें.’
नोएडा शनिवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा
उधर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नोएडा शनिवार को सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा, जबकि प्रदूषण के मामले में गुरुग्राम दूसरे नंबर पर तथा फरीदाबाद तीसरे नंबर पर रहा. एनसीआर के सभी प्रमुख शहर अति गंभीर श्रेणी में हैं.
वायु प्रदूषण के ‘मापक ऐप’ समीर के अनुसार शनिवार को नोएडा की एक्यूआई 484 रही जबकि गाजियाबाद की 460, ग्रेटर नोएडा की 444, फरीदाबाद की 468, बल्लभगढ़ की 429, गुरुग्राम की 432, आगरा 405, बहादुरगढ़ 439, बल्लभगढ़ 429 भिवानी 476, बुलंदशहर 479, हापुड़ 405, मेरठ 350 एक्यूआई दर्ज की गई. बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से दमा खांसी एवं टीबी के मरीजों की स्थिति बहुत ही नाजुक बनी हुई है. लोगों की आंखों में जलन हो रही है, तथा छोटे-छोटे बच्चे प्रदूषण की वजह से बीमार पड़ रहे हैं.
जनपद गौतम बुध नगर में पाबंदी के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है. इससे जिले की आबोहवा दमघोंटू हो गई है. शनिवार को नोएडा 484 हवा गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा, जबकि 4 44 एक्यूआई के साथ ग्रेटर नोएडा भी डार्क जोन में रहा. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हवा को जहरीली बनाने में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इससे प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है.
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