उत्तरप्रदेश 12 नवंबर (वेदांत समाचार)।समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को आज चित्रकूट की रहने वाली नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में सजा सुनाई जाएगी. असल में इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और दो दिन पहले ही कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए आज की तारीख तय की थी. गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट के तहत एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा दोषी पाए गए गायत्री प्रसाद प्रजापति और दो सहयोगियों की सजा पर आज फैसला सुनाया जाएगा. वहीं कोर्ट ने चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है और चारों आरोपी जिला जेल से रिहा हो गए हैं.
बहरहाल गायत्री प्रजापति की मुश्किलें बढ़ गई हैं. क्योंकि भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के मुताबिक गैंगरेप में अधिकतम 20 साल और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इस मामले में कोर्ट ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष कुमार शुक्ला को महिला की नाबालिग बेटी के साथ गैंगरेप करने और महिला के साथ छेड़ाछड़ का दोषी पाया है.
जानें क्या है मामला
राज्य में समाजवादी सरकार में जब गायत्री प्रजापति कैबिनेट मंत्री थे, तब चित्रकूट की एक महिला ने गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों पर अपनी नाबालिग बेटे के साथ रेप का आरोप गया. हालांकि उस वक्त ये मामला लखनऊ में घटित हुआ था. पुलिस ने लखनऊ में काफी प्रयासों के बाद मामला दर्ज किया. हालांकि गायत्री और उनके गुर्गों ने महिला और उसकी बेटी पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया. लेकिन सफल नहीं हुए.
गायत्री से बाहर नहीं आ सके गायत्री
दरअसल गायत्री प्रसाद प्रजापति के साथ ही विकास वर्मा अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह ने अप्रैल 2017 में तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश ओपी मिश्रा के समक्ष जमानत के लिए आवेदन किया था, जहां अदालत ने तीनों आरोपियों को जमानत दे दी. लेकिन इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने जमानत रद्द करने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष आवेदन दिया था. जिसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया.
गैंगरेप में पिंटू समेत चार लोग बरी
फिलहाल, इस मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के चार सहयोगियों को गुरुवार रात जेल से रिहा करने दिया गया. इन लोगों पर भी गैंगरेप और पास्को एक्ट का मामला दर्ज था. लेकिन कोर्ट ने बुधवार को उन्हें बरी कर दिया था. मुख्य आरोपी गायत्री प्रजापति के साथ ये चारों लोग 2017 से जिला जेल में बंद थे. कोर्ट ने अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, विकास वर्मा, चंद्रपाल और रूपेश को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था. जबकि गायत्री और उनके तीन सहयोगियों को दोषी माना था.
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