रायपुर 12 नवंबर (वेदांत समाचार)। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेकर रबी सीजन की तैयारियों विशेषकर गर्मी में धान की खेती के बदले अन्य वैकल्पिक एवं लाभकारी फसलों की खेती की कार्ययोजना की गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गर्मी सीजन में धान की खेती में पानी की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है। राज्य के मैदानी इलाकों विशेषकर रायपुर एवं दुर्ग संभाग स्थित सिंचाई जलाशयों में जल भराव की स्थिति औसत से कम है। रबी सीजन में सिंचाई के लिए जलापूर्ति प्रभावित होगी। भू-जल स्रोतों के अत्यधिक दोहन से भू-जल की स्थिति दिनों दिन गिरते जा रही है। गर्मी के दिनों में पेयजल एवं निस्तार की दिक्कत होने लगती है। इस स्थिति को देखते हुए रबी सीजन में कम पानी वाली लाभकारी फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना जरूरी है।
गौरतलब है कि बीते 8 नवम्बर को कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कृषि, उद्यानिकी, जल संसाधन एवं विद्युत मंडल के अधिकारियों की संयुक्त बैठक लेकर रबी सीजन की तैयारी विशेषकर रबी में धान के बदले अन्य लाभकारी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने, किसानों को प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित करने तथा भू-जल स्रोतों से जल के अंधाधुंध दोहन को रोकने की पहल करने के निर्देश दिए थे। कृषि मंत्री चौबे के निर्देश के परिपालन में आज आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि राज्य शासन की यह मंशा है कि कृषक गर्मी के दिनों में धान की खेती के बदले गेहूं, चना, उड़द, मक्का, तिल, रागी आदि फसलों एवं उतेरा की खेती करें। इन फसलों की खेती न सिर्फ लाभ दायक है, बल्कि इसने सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत होती है। उन्होंने जिले के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को कम पानी वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य-योजना तैयार कर उसे अमल में लाने की बात कही।
बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य के 10 प्रमुख जिलों में जहां गर्मी के दिनों में धान की खेती परंपरागत रूप से की जाती है। उन जिलों में वर्तमान रबी सीजन में कुल एक लाख 16 हजार 480 हेक्टेयर में धान के बदले अन्य लाभकारी फसलों की खेती की जाएगी। बैठक में बताया गया कि धमतरी जिले में रबी सीजन में धान के बदले 15,000 हेक्टेयर में अन्य फसल की खेती की कार्ययोजना को मूर्तरूप देने की पहल शुरू कर दी गई है। इसी तरह महासमुन्द जिले में 17.500 हेक्टेयर में, गरियाबंद 7,580 हेक्टेयर में, रायपुर में 4,800 हेक्टेयर में, दुर्ग में 8,600 हेक्टेयर में, बालोद में 15,000 हेक्टेयर में, जांजगीर में 10,000 हेक्टेयर में, बेमेतरा में 15,000 हेक्टेयर में, राजनांदगॉव में 10,000 हेक्टेयर में, बिलासपुर में 13,000 हेक्टेयर रकबे में ग्रीष्म धान के स्थान पर अन्य लाभकारी फसल ली जाएंगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त सभी जिलों के अधिकारियों को राज्य सरकार की मंशानुसार अन्य फसलों की खेती के प्रोत्साहन के लिए तैयार की गई कार्य-योजना के अनुसार बीज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को इसके लिए विभाग के मैदानी अमले के लिए लक्ष्य निर्धारित करने तथा इसके क्रियान्वयन की स्थिति की विकासखंड स्तर से लेकर जिला एवं संभाग स्तर पर नियमित समीक्षा करने के भी निर्देश दिये। वर्चुअल बैठक में कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ सभी जिलों के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी शामिल हुए।
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