कोरबा,11 नवबर ( वेदांत समाचार )।छठ के आखिरी दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतजार करते हैं. सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है.आस्था के महापर्व पर आज छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इसी के साथ चार दिनों से चल रहे छठ पर्व का समापन हो गया. आज यानी गुरुवार को सुबह ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड उमड़ना शुरू हो गई थी. छठ पूजा के आखिरी दिन उषा अर्घ्य का दिन भी कहा जाता है. इसे पारण भी कहते हैं. क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण कर लिया जाता है.
छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई. छठ के आखिरी दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतजार करते हैं. सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है.इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं. आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत को खोलते हैं. व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह पावन व्रत का समापन होता है
आज उषा अर्घ्य का समय सुबह 6 बजकर 41 मिनट था. उषा अर्घ्य यानी आज के दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगलते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ये अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनो कामना पूरी होती है.छठ के अंतिम दिन सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान कर उदित होते सूर्य के सामने जल में खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल भर लिया जाता है. इसी जल में मिश्री भी मिलाई जाती है. इसी के साथ तांबे के लौटे में लाल फूल, कुमकुम, हल्दी आदि डालकर सूर्य को यह जल अर्पित करते हैं. दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें. फिर इसके बाद दीप और धूप से सूर्य की पूजा करें और आशीर्वाद मांगे.
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