भोपाल 10 नवंबर (वेदांत समाचार)। हमीदिया अस्पताल के बच्चा वार्ड में लगी आग ने एक ऐसी मां की खुशियां भी छीन लीं जो अपनी शादी के 12 साल बाद मां बनी थी। वह दो नवंबर को बच्चे की मां बनी थी। सांस लेने में बच्चे को तकलीफ हुई तो उसे हमीदिया के कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था, जहां वह छह दिन से भर्ती था। उसकी हालत में सुधार भी होने लगा था। सोमवार रात में आग लगने के बाद परिजनों को अस्पताल से बाहर कर दिया गया था। किसी को अंदर नहीं जाने दे रहे थे। इस दौरान मां इरफाना अपने बच्चे राहिल के लिए परेशान हो रही थी। वह अंदर जाने के लिए पुलिस और प्रशासन से गुहारा लगा रही थी कि मेरे बच्चे को मुझे दिखा दो। उसे प्रशासनिक अधिकारी भरोसा दे रहे थे कि उसका बेटा अच्छा है। सुबह चार बजे उसे बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है। बच्चे का शव देखकर मां इरफाना बेसुध हो गई थी। वह अस्पताल के बाहर बैठकर रोती रही। बाद में परिजनों ने उसे घर भिजवाया।
इरफाना का परिवार डीआइजी बंगला गौतम नगर में रहता है। उनका निवास लाउखेड़ी में है। बच्चे के मामा रशीद का कहना है कि आगजनी के समय वह अंदर ही था। धुआं और अंधेरे के कारण उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने सात बच्चों को बाहर निकाला, लेकिन इस हादसे में अपने भानजे को नहीं बचा सका।
जुड़वां बच्चियों की खुशी को अगले दिन ही लग गई नजर
चूनाभट्टी के किराना व्यापारी अंकुश यादव का रो-रोकर बुरा हाल है। उनको एक दिन पहले ही जुड़वां बच्चियों के पैदा होने की खुशी मिली थी, लेकिन उनकी खुशी एक दिन में ही काफूर हो गई। जब कमला नेहरू अस्पताल में आग लगी तो वह बच्चियों के पास ही बैठे थे। अचानक से चिंगारी उठी और पूरे वार्ड में आग फैलने के बाद धुआं भर गया। किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जब लोगों को बाहर किया तो बाहर आ गए। पूरी रात अंदर जाने के लिए पुलिस से मिन्नतें करते रहे, लेकिन नहीं जाने दिया। सोमवार रात दो बजे उनको बताया गया कि उनकी एक बच्ची नहीं रही है। मंगलवार सुबह उनकी दूसरी बच्ची की मौत हो गई। उनका कहना है कि पत्नी को अभी बच्चियों की मौत के बारे में नहीं बताया है। बच्चियों को सांस में तकलीफ होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अंकुश की चूनाभट्टी में किराने की दुकान है। उनकी करीब दो साल पहले शादी हुई थी। रविवार को उन्होंने पत्नी को निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। सोमवार सुबह उनकी पत्नी को जुड़वां बेटियां हुईं थीं। अंकुश ने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे।
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