रवि शास्त्री, भरत अरुण और आर श्रीधर का टीम इंडिया के कोच के सफर समाप्त हो गया. इसके साथ ही एक युग का अंत हो गया. रवि शास्त्री और उनके साथी कोचेज के कार्यकाल की सबसे बड़ी बात टेस्ट क्रिकेट में भारत का शानदार खेल और तेज गेंदबाजी का धारदार होना रहा. भारतीय तेज गेंदबाजी की कायापलट करने का बड़ा क्रेडिट बॉलिंग कोच भरत अरुण को जाता है. उन्होंने गेंदबाजों के साथ काफी काम किया और टीम की विदेश में कामयाबी का ब्ल्यूप्रिंट तैयार किया. लेकिन जब भरत अरुण को टीम इंडिया का बॉलिंग कोच बनाया गया था तब उन्हें काफी निशाना बनाया गया था. कई लोगों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. खिलाड़ी के रूप में उनके आंकड़ों के जरिए भरत अरुण की काबिलियत पर सवाल किए गए थे. लेकिन अरुण ने अपने काम से सब आलोचकों की जुबान बंद कर दी.2/6भरत अरुण तमिलनाडु के रहने वाले हैं. हालांकि उनका जन्म विजयवाड़ा (तब के आंध्र) में हुआ था. भरत अरुण और रवि शास्त्री ने जब करियर शुरू किया था तब ही एकदूसरे के संपर्क में आ गए थे. इसके बाद दोनों की दोस्ती हो गई थी. बाद में वे 1979 में रवि शास्त्री की कप्तानी वाली अंडर 19 टीम का हिस्सा भी थे. तब उनकी पहचान एक उपयोगी ऑलराउंडर की थी. वे मीडियम पेस से बॉलिंग करते थे और लॉअर ऑर्डर में तेजी से रन बनाने के लिए जाने जाते थे. मगर कपिल देव और रवि शास्त्री के खेल के आगे भरत अरुण ज्यादा छाप नहीं छोड़ सके.3/6भरत अरुण को अंडर 19 क्रिकेट से टीम इंडिया में जगह बनाने में सात साल लग गए. 1986-87 में तमिलनाडु के रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनने में भरत अरुण का भी अहम रोल रहा. इसी सीजन में दलीप ट्रॉफी के सेमीफाइनल में उन्होंने 149 रन की पारी खेली और साउथ जोन को बढ़त दिलाई. इस तरह के खेल के बाद उन्हें टीम इंडिया में चुना गया. मगर पांच महीने में ही उनका इंटरनेशनल क्रिकेट पूरा हो गया. उन्होंने भारत के लिए दो टेस्ट और चार वनडे मुकाबले खेले थे. इनमें उन्हें कुल पांच विकेट मिले थे. वहीं फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 48 मैच में 110 तो 14 लिस्ट ए मैच में उन्होंने सात विकेट लिए. साल 1992 में उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया. बाद में वे कोचिंग के फील्ड में आ गए.4/62002 से 2006 तक वे तमिलनाडु के कोच रहे. इस दौरान तमिलनाडु क्रिकेट में काफी सुधार देखने को मिला. यह टीम दो बार रणजी ट्रॉफी फाइनल में पहुंची. 2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी ने जब अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता था तब टीम के कोच भरत अरुण ही थे. इससे पहले वे बेंगलुरु में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में भी बॉलिंग कोच रहे. इसके बाद वे आईपीएल में पंजाब किंग्स टीम के साथ जुड़ गए. आईपीएल के बाद वे टीम इंडिया के बॉलिंग कोच बन गए. 2017 तक वे इस पद पर रहे. तब रवि शास्त्री भारतीय टीम के डायरेक्टर थे.5/6जब रवि शास्त्री मुख्य कोच बने तो उन्होंने अरुण को बॉलिंग कोच बनाने की मांग की. लेकिन इससे पहले ही बीसीसीआई के प्रशासकों की समिति ने जहीर खान के नाम का ऐलान इस पोस्ट के लिए कर दिया था. लेकिन शास्त्री अड़ गए. बाद में उनकी बात मानी गई और भरत अरुण ही भारत के बॉलिंग कोच बने और अब जाकर वे इस पोस्ट से हटे हैं.6/6भरत अरुण के टीम इंडिया के बॉलिंग कोच रहते हुए जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव धाकड़ बॉलर बनकर उभरे हैं. साथ ही इशांत शर्मा के करियर को एक नई दिशा मिली है. भारत के तेज गेंदबाजों की फिटनेस पर भी उन्होंने काफी मेहनत की है. टीम इंडिया का हरेक गेंदबाज भरत अरुण की तारीफ करते हुए नहीं थकता है. नतीजा है कि भारत ने दो बार ऑस्ट्रेलिया, एक बार श्रीलंका, वेस्ट इंडीज में टेस्ट सीरीज जीती है. साथ ही इंग्लैंड में सीरीज जीत के मुहाने पर टीम इंडिया खड़ी है. इस तरह भरत अरुण ने छह इंटरनेशनल विकेटों के आधार पर उन्हें घेरने वालों को करारा जवाब दिया है.
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