07 नवंबर (वेदांत समाचार) | कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पष्ठी तिथि को छठ मनाया जाता है। यह उपवास महिलाएं और पुरुष दोनों रखते हैं। यह व्रत बेहद कठिन होता है। इसमें 24 घंटे से अधिक समय तक कुछ भी खाया पीया नहीं जाता है। इस साल महापर्व छठ 8 नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होगा। 9 नवंबर को खरना के बाद निर्जला व्रत शुरू होगा। अगले दिन छठ का पहला अर्घ्य संध्या में दिया जाएगा। इसके बाद 11 नवंबर को सूर्योदय के समय जल देकर उपवास का पारण किया जाएगा।
नहाय-खाय का महत्व
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को छठ का पहला दिन होता है। इस दिन जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। फिर स्नान करने के बाद छठ पर्व का आरंभ होता है। नहाय खाय के दिन चने की दाल, कद्दू की सब्जी और चावल खाया जाता है। कई जगहों पर इस दिन को कद्दू भात वाला दिवस भी कहा जाता है।
खरना का महत्व
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ व्रत का दूसरा दिन मनाया जाता है। इस दिवस को खरना कहते हैं। इस दिन भक्त निर्जला व्रत रखते हैं। खरना में मिट्टी के चूल्हे पर चावल, दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है। शाम के समय सूर्य देव को भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। फिर निर्जला व्रत आरंभ होता है।
षष्ठी तिथि संध्या अर्घ्य
छठ पर्व का तीसरा दिन षष्ठी तिथि होता है। इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है। शाम के समय तालाब या नदी में जाकर कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
सप्तमी तिथि सूर्योदय अर्घ्य
सप्तमी में व्रती फिर उगते सूरज को अर्घ्य देते हैं। धूप-दीप के बाद प्रसाद ग्रहण करके पारण के साथ छठ पर्व का समापन होता है।
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