जिले में महज 30 दिन में 25 किसानों ने की आत्महत्या,

02 नवंबर (वेदांत समाचार) : देश में सबसे अधिक कृषक आत्महत्या महाराष्ट्र में होती है. इस साल बारिश, बाढ़ और चक्रवात के कहर से बड़े पैमाने पर खेती बर्बाद हो गई है. एन.सी.आर.बी.रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में किसान आत्महत्या की घटनाओं में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जिसमे दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. वहीं अब खबर आ रही है कि महाराष्ट्र के बीड जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है. महज 30 दिन में 25 अन्नदाता अपनी जान गंवा चुके हैं. यह बड़ा सवाल है. आखिर ऐसा क्यों हुआ. किसान नेताओं का कहना है कि भारी बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है. इस दर्द को वो झेल नहीं पा रहे है. वहीं सरकार का कहना है कि भारी बारिश के बाद फसल निरीक्षण, पंचनामा और अब नुकसान की वास्तविक राशि किसानों के खाते में जमा होने लगी है. आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 10 हजार करोड़ के मुआवजे का पैकेज का ऐलान किया है.

लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि सरकार अगर ये सोच रही है कि इस मुआवजे की रकम से किसानों की भरपाई हो जायेगी, तो ऐसा नही है. फसल के नुकसान की भरपाई पैसे से की जा सकती है लेकिन उन किसानों के परिवारों का क्या जो भारी बारिश के कारण हुए फसलों को बर्बाद देख कर डिप्रेशन में अपनी जान गंवा चुके हैं.

बीड जिले में पिछले दस महीने में 158 किसानों ने जान गवाई

पिछले 10 महीनों में बीड जिले में किसानों की आत्महत्या की संख्या बताती है कि कृषि सिंचाई के लिए कोई स्थायी जल आपूर्ति नहीं है. भारी बारिश के बाद कोई योजना नहीं है. जनवरी से 30 अक्टूबर के बीच जिले के 158 किसानों ने आत्महत्या कर ली.

आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों और कृषि मजदूरों की आत्महत्या रुकने की बजाय बढ़ रही है.

देश में साल 2020 के दौरान कृषि क्षेत्र में 10,677 लोगों की आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्याओं (1,53,052) का 7% है. इसमें 5,579 किसान और 5,098 खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याएं शामिल हैं.

गर 2019 से 2020 की तुलना करें तो 2019 में 5,957 किसान और 4324 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी जबकि 2020 में आंकड़ा क्रमश: 5,579 और 5,098 रहा.

कृषि मजदूरों की आत्महत्या के मामले 2020 में बढ़े हैं. 2020 में सुसाइड करने वाले 5,579 किसानों में से 5,335 पुरुष थे और 244 महिलाएं थीं, जबकि सुसाइड करने वाले 5,098 कृषि मजदूरों में 4621 पुरुष और 477 महिलाएं थीं.

पंजाब में 257 तो हरियाणा में इस तरह के कुल 280 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए. वहीं पश्चिम बंगाल, बिहार, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में जीरो सुसाइड रिपोर्ट की गईं.

यहां पर किसानों और कृषि मजदूरों को विभाजित करके आंकड़े बताए गए हैं. यहां पर किसान वह हैं जिनके पास अपनी जमीन हैं और वह उसमें खेती करते हैं, वहीं कृषि मजदूर वे हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है और उनकी आय का साधन दूसरे के खेतों में काम करना है.

किसान क्यों आत्महत्या को हो रहे है मजबूर

किसान सभा के नेता अजीत नवले का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियों और नाकामियों की वजह से किसानों की आत्महत्या बढ़ रही है. सरकार तो कह रही थी कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी, लेकिन उल्टे उनकी आत्महत्या की दर बढ़ रही है.सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.

बीड जिला पिछले काफी दिनों से सूखा क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. लेकिन न तो जनप्रतिनिधियों ने इस संबंध में ठोस कदम उठाए हैं और न ही स्थायी कृषि सिंचाई के लिए प्रशासन द्वारा कोई उपाय किए गया है. अब यहां भारी बारिश होने पर बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. अधिकतर किसान कर्ज में डूबे हैं.

जिले में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या अन्य जिलों की तुलना में अधिक है.और अब इस साल की बारिश ने इस संख्या को और बढ़ा दिया है. हालांकि पिछले 10 महीनों में आत्महत्या करने वाले 158 किसानों में से 101 किसान परिवारों को सरकारी सहायता मिली है जबकि 57 परिवार अभी भी मदद का इंतजार कर रहे हैं.

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