बात बेबाक : छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ

31 अक्टूबर ( वेदांत समाचार )।राज्य गठन के दौरान छत्तीसगढ़ के सफेद शेर के यहाँ तत्कालीन राजा की ठुकाई के बाद जोगिया रंग में रंगा छत्तीसगढ़ राज्य भय भूख और भ्रष्टाचार के आतंक से थर्रायी जनता ने विकास की आस में कमल खिलाया। मरीजो की नब्ज टटोल उनकी बीमारी का इलाज करने वाले डॉ साहब ने छत्तीसगढिहा मनखे की नब्ज पकड़ राज्य में 15 सालों तक राज किया किंतु रमन राज में बेलगाम होती अफसरशाही, कार्यकर्ताओ की अनदेखी ने भाजपा की लुटिया डुबो दी और 15 साल के वनवास के बाद कांग्रेस सत्ता की मलाईदार कुर्सी तक पहुंची जरूर है पर राज्य में मुफ्तखोर बनाती योजनाओं खजाने की बिगड़ती माली हालत, बेलगाम कार्यकर्ता , राजा साहब और दाऊ के बीच अढ़ईया का शीतयुद्ध, भ्रष्टाचारीयो की जुगलबंदी, बेलगाम होती अफसरशाही बता रही कि सत्ता के अंदरखाने में सबकुछ ठीक नही है।

वैसे सत्ता के गलियारे में बस अलीबाबा ही बदलता है चोर तो वही चालीस के चालीस ही रहते है।

21 वर्षीय वयस्क हमारे छत्तीसगढ़ में तरक्की और विकास की बाढ़ आई हुई है इसमें कोई शक नही। कल तक सेकेंड हैण्ड मोटरसाइकल में घूमने वाले नेता चमचमाती चार पहिये के मालिक बने बैठे है।

जब विकास और तरक्की की बात हो तो मोदी और दाऊ की याद तो आनी ही है । दोनों के राज में आत्मनिर्भर बनते देश व राज्य मे विकास इतना हो रहा कि हम पकौड़े तलने से लेकर गोबर बीनने तक मे रोजगार तलाशते आत्मनिर्भर बन रहे है।

बात विकास की हो रही है और विकास विकास के खेल में मेरा छोटा-सा शहर इससे बच जाए, यह कैसे संभव है ? मेरे शहर में भी पिछले कुछ सालों से तरक्की (?) घुटने मोड़कर आ बैठी है। जहाँ पहले गिट्टी की फेयर वेदर सड़कें या कोलतार पुती सड़कें थीं, वहाँ अब सीमेंट की सड़कें हो गई हैं। सीसी रोड पर सीसी रोड बन रही है, एक ही नाली को बार बार तोड़ कर बनाया जा रहा है । सड़के और गलियों को चौड़ी कर शहर को सुंदर बनाने अफसर मजदूर से ज्यादा पसीना बहा रहे है ।

छत्तीसगढ़ राज्य में भ्रष्टाचाररियो की भूख का भी पूरा इंतज़ाम है। घोटाला करो चढोत्री चढ़ाओ और फाइल जांच जांच में उलझाओ तभी तो अफसर चंद कदमो की दूरी कई किलोमीटर बता डीजल डकार सीडी कांड में मस्त है और फाइलें राजधानी आने जाने में मस्त है ।

मार्केट और गलियों में सड़को पर कब्जा जमाते व्यापारियों पर भी मुंह और औकात देख कार्यवाही की खाना पूर्ति करते फोकट में टाइम पास करते अफसर की बेचारगी ने एक पुरानी कहावत सच कर दी कि शासन प्रशासन का मुक्का पुष्ट और मजबूत पीठ पर उठता तो है पर मुक्के के नीचे आते तक वो पीठ ही बदल जाती है । खैर ये तो आदि अनादि काल से चली आ रही परंपरा है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस हमे क्या । विकास की पागलपंथी में नेता , ठेकेदार और अफसर की तरक्की के लिए सड़क घटिया बनाओ जेब भरो फिर सड़क बनाओ एक सड़क अलग अलग नामो से बनाओ जेब गरम करो चलते बनो।

कुछ भी हो अब विकास की झलक है तो है । इसी वजह से मेरे शहर और आसपास के गाँवों के लोग लोन या धान व गन्ने के बोनस से ली गई मोटरसाइकलों और चारपहिये वाहनों पर दनदनाते हुए शहर की सड़कों पर बेतहाशा दौड़ते हैं। हमारे देश का ट्रैफिक कानून बहुत सख्त है। इसीलिये हमारे कथित वर्दीधारी जनता के हित में 100- 200 का रंगीन कागज देखते ही पूरा कानून ही बदल देते है? अब ये बात अलग हैं कि वीडियो वायरल हो जाय तो कार्यवाही करनी पड़ती है वरना ऊपरी कमाई जिंदाबाद?

अब ये विकास नहीं तो क्या है भाई। एक 1001 टका ईमानदार अफसर ने कहा भाई साहब विकास और भ्रष्टाचार का चोली दामन का साथ है , काजल की कोठरी से आप बेदाग नही निकल सकते मान भी जाओ। साहब कुछ भी बोले पर हमें तो पकोड़े से गोबर तक का सफर ही विकास की राह दिख रहा।