रायपुर 30 अक्टूबर ( वेदांत समाचार ) । कवर्धा में अनावश्यक तनाव के बाद आम जनजीवन सामान्य होने की दिशा में बढ़ रहा है, परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण बार-बार चुनौतियां उभर आ रही हैं। स्थिति जख्मों को कुरेदने जैसी है, जबकि नेतृत्व की जिम्मेदारी होती है कि वह समाज में आपसी तालमेल के लिए पृष्ठभूमि तैयार करे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्तापक्ष हो या विपक्ष, किसी को वैमनस्यता पैदा करने वाली गतिविधियों की क्रिया और प्रतिक्रिया से भले ही वोटों का ध्रुवीकरण होता हो,
समाज को चौतरफा नुकसान ही उठाना पड़ता है। कहीं भी तनाव के कारण कर्फ्यू लगाना पड़े तो उसकी वजह से शालाओं से लेकर दुकान तक बंद करनी पड़ती हैं। शिक्षा से लेकर कारोबार तक पर इसका असर समझा जा सकता है।इससे होने वाले नुकसान का आकलन करना बहुत कठिन है। संबंधों में एक बार गांठ लग जाए तो वह सामान्य नहीं होती। यहां तो बार-बार गांठ लगाई जा रही है। कभी सत्ता पक्ष के नेता गाड़ियों का काफिला लेकर पहुंच रहे हैं तो कभी विपक्ष के।
बिलासपुर हाई कोर्ट के वकीलों की टीम की कवर्धा के सांप्रदायिक दंगे पर रिपोर्ट चिंता ही पैदा करती है। वकीलों ने दोनों पक्षों के लोगों के साथ-साथ जमानत पर रिहा हो चुके आरोपितों से भी बात के बाद निष्कर्ष निकाला कि दो लोगों के बीच मामूली विवाद में हस्तक्षेप से हालात बिगड़ते चले गए।अगर यह सही तो है सबक लेने की जरूरत है कि शासन-प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई के पहले स्थानीय नेतृत्व ने हस्तक्षेप किया होता तो दंगे की नौबत ही न आती। इस समय कवर्धा के लोगों खासकर राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं को स्थिति सामान्य करने में अहम भूमिका निभानी होगी।
कवर्धा की जनता ही प्रदेश के राजनीतिक दलों को संदेश दे सकती है कि जिले को वोटों के धु्रवीकरण का मंच बनने नहीं दिया जाएगा। इससे पहले राजनीतिक दलों की भी नैतिक जिम्मेदारी होगी कि वे कवर्धा में सैकड़ों गाड़ियों का काफिला निकालकर शक्ति-प्रदर्शन करना बंद करें।पार्टी प्रदेशाध्यक्ष व वरिष्ठ नेता जेल में जाकर गिरफ्तार आरोपितों से मिलने जैसी गतिविधियां कम करें।
दंगे के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी 159 आरोपित जमानत पर रिहा हो चुके हैं। उस समय गिरफ्तार सिर्फ दो आरोपित अन्य मामले में कवर्धा उप जेल में हैं। ऐसे में जेल से निकले आरोपितों का शहर की सड़कों पर भव्य स्वागत और उकसाने वाली नारेबाजी की सराहना नहीं की जानी चाहिए।
अब पूरा शहर दीपावली के त्योहार को भरपूर जीना चाहता है। राजनीतिक नेतृत्व जितनी जल्दी क्रिया और प्रतिक्रिया का दौर समाप्त करेगा, यहां के नागरिकों के लिए उतना ही अच्छा रहेगा। सभी लोगों का दायित्व है कि दीपोत्सव पर स्वार्थवृत्ति के घने तिमिर को नष्ट करने में अपनी-अपनी भूमिका का निर्वहन करें।
[metaslider id="347522"]