SECL में 10 दिन के भीतर ही SECL के खदानों में उत्पादन 3 मिलियन टन जरूर बढ़ा

केंद्रीय कोयला मंत्री के दौरे के बाद से एसईसीएल की कोयला खदानों में उत्पादन पहले से बढ़ा है। पिछले 10 दिन के भीतर ही एसईसीएल के खदानों में उत्पादन 3 मिलियन टन जरूर बढ़ा है। एसईसीएल के कोयला खदानों में डेली कोल प्रोडक्शन भी 3.75 लाख हो रहा है, जबकि पहले हर दिन का उत्पादन 3 लाख टन से कम था। दूसरी तरफ जिले के बिजली प्लांटों में भी कोयला आपूर्ति बढ़ाई गई है।

हालांकि इसके बाद भी बिजली प्लांटों में कोयला का संकट पूरी तरह से दूर नहीं हुआ है। डीएसपीएम प्लांट में अभी भी 2 दिनों का कोल् स्टॉक है। बिजली उत्पादन कंपनी के एचटीटीपी में पहले से कुछ अधिक 6 दिन का कोयला बचा हुआ है। पावर कंपनी के एक अधिकारी के अनुसार प्लांटों में ज्यादा से ज्यादा कोयला आपूर्ति की कोशिश हो रही है। पहले से आपूर्ति कुछ सुधरी है लेकिन स्टॉक और बढ़ाने की जरूरत है। जिसके लिए काम किया जा रहा है। जिले के अधिकांश बिजली प्लांटों में एसईसीएल के खदानों से ही कोयला आपूर्ति की जाती है।

10 दिनों पहले तक एसईसीएल कंपनी का काेल प्रोडक्शन करीब 60 मिलियन टन तक था, लेकिन अब इसमें 3 मिलियन टन से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में कंपनी का अब तक का कोयला उत्पादन 63.47 मिलियन टन है। हालांकि कंपनी अपने तय कोयला उत्पादन लक्ष्य 82.13 मिलियन टन के मुकाबले पीछे चल रही है। बिजली कंपनी के एचटीपीपी में करीब 99 हजार टन कोयला है। यह 6 दिनों का स्टॉक है। पखवाड़े भर पहले तक प्लांट में दो से तीन दिन का ही कोयला था। हालांकि डीएसपीएम प्लांट में बीच में कुछ सुधार होने के बाद स्टॉक फिर कम हो गया है इस प्लांट में 18 हजार टन कोयला है, यहां 2 दिन का कोयला है जबकि कंपनी के मड़वा प्लांट में दूसरी यूनिट के उत्पादन में आने के बाद यहां भी स्टॉक में कुछ कमी आई है। वर्तमान में मडवा में 8 दिनों का कोयला करीब 80 हजार टन कोयला उपलब्ध है। बालकों के 600 मेगावाट प्लांट के लिए कॉलेज टॉप की उपलब्धता करीब 65 हजार टन है यहां करीब 8 से9 दिन का स्टॉक है। एनटीपीसी में 2 दिन का कोयला है। जबकि लैंको पताड़ी प्लांट में 13 दिनाें का काेल स्टाॅक है। यहां 1 लाख टन से अधिक काेयला है।

हर माह 21 मिलियन टन से अधिक उत्पादन की चुनौती
चालू वित्तीय वर्ष में एसईसीएल का कोयला उत्पादन लगभग 63 मिलियन टन के पार पहुंचा है। इस वित्तीय वर्ष में एसईसीएल को 172 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है। ऐसे में लक्ष्य पूरा करने के लिए 5 माह और कुछ दिन ही बचे हैं। तय लक्ष्य के मुकाबले एसईसीएल को वर्तमान में 108.55 मिलियन टन कोयला उत्पादन और करना है। इसके लिए हर माह 21 मिलियन टर्न से अधिक कोयला उत्पादन करना एक बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी है।

अभी एमसीएल ही लक्ष्य से अधिक उत्पादन कर रही
एमसीएल कंपनी को छोड़ अन्य कोई कंपनी लक्ष्य अनुसार उत्पादन नहीं कर रही है कोल इंडिया की कंपनी ईसीएल, बीसीसीएल, सीसीएल, एनसीएल, डब्ल्यूसीएल ,एसईसीएल उत्पादन लक्ष्य में पीछे हैं। जबकि एमसीएल अपने वर्तमान उत्पादन लक्ष्य 79.18 मिलियन टन से अधिक 82.79 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर चुकी है। एमसीएल का डेली कोल प्रोडक्शन में भी आगे है। कंपनी हर दिन 4.75 लाख टन कोयला उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले 5 लाख तब तक उत्पादन कर रही है।

मेगा प्राेजेक्ट में उत्पादन पटरी पर लाने चल रही काेशिश
एसईसीएल की कुसमुंडा, दीपका और गेवरा मेगा प्राेजेक्ट में काेयला उत्पादन पीछे चल रहा है। हालांकि यहां भी उत्पादन में तेजी लाने की काेशिश जारी है। वर्तमान में जिले की काेरबा, कुसमुंडा, दीपका और गेवरा परियाेजना में हर दिन औसत 75 हजार से 80 हजार टन तक काेयला उत्पादन किया जा रहा है। प्रबंधन ने काेयला परियाेजनाओं के उत्पादन में प्रदर्शन काे देखते हुए 5 अधिकारियाें का ट्रांसफर आर्डर भी जारी किया है। प्रबंधन के इस कदम से आने वाले दिनाें में काेयला उत्पादन और बढ़ने की उम्म्मीद है।