अभी भी रकम वापसी की उम्मीद : चिटफंड निवेशकों के 89 हजार आवेदन, 2 माह में न एंट्री पूरी हुई और ना ही गाइडलाइन आई

0 500 करोड़ से अधिक रकम डूबने का अनुमान, कई लोगों ने रसीद भी जमा नहीं किया

कोरबा 26 अक्टूबर । चिटफंड कंपनियों के निवेशकों में रकम वापसी की उम्मीद अब भी बनी हुई है, लेकिन दो माह बाद ही आवेदनों की छंटनी और एंट्री नहीं हो पाई है। शासन से भी कोई गाइडलाइन अबतक नहीं आई है। रकम पाने की उम्मीद में 89 हजार 58 लोगों ने आवेदन जमा किया है।

चिटफंड कंपनियों से ठगे गए लोगों से अगस्त में आवेदन मंगाए गए थे। कलेक्टोरेट में सबसे अधिक 46440 लोगों ने आवेदन जमा कराया है ।सबसे कम पाली तहसील में 3413 पीड़ित ही सामने आए। अब इन आवेदनों की जांच के बाद एंट्री की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक चिटफंड कंपनियों में 500 करोड़ रुपए से अधिक की रकम डूबी है। जिले में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ वर्ष 2016 में कार्रवाई शुरू हुई थी। उस दौरान अलग-अलग थानों में 19 कंपनियों के खिलाफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। साथ ही कई मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार भी किया। चिटफंड कंपनियां रकम दोगुना होने का झांसा देती थी। इसके लिए शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंट बनाकर पूरा जाल बिछाया गया था। शासन ने जब आवेदन लेना शुरू कराया तो संख्या 3 गुना बढ़ गई, लेकिन अभी तक आवेदनों की एंट्री ही पूरी नहीं हो पाई है। प्राप्त आवेदनों से भी स्पष्ट होगा कि कितनी रकम डूबी है, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने रसीद जमा नहीं कराए हैं। आवेदनों का क्या होगा। कैसे रकम वापसी होगी । इसकी अभी तक कोई गाइडलाइन ही नहीं आई है।

इन कंपनियों के खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई लेकिन नहीं मिली लोगों की जमा पूंजी


सांई प्रसाद प्रापर्टी, वीआरएस रियर स्टेट एवं मार्केटिंग, रेनाट्स साख सहकारी समिति, ग्रीन-रे इंटरनेशनल कंपनी, वेल्थ क्रिएटर एंड रुचि रियल स्टेट कंपनी, रोजवेली कंपनी, विनायक ग्रुप ऑफ कंपनी, सांई प्रसाद कंपनी, डॉल्फिन इंफ्रा पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड, जेएसबी रियल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड, सनसाइन इंक खिल्डवान कॉर्पोरेट लिमिटेड, रेडियंट रियल स्टेट वक्र्स, श्रीराम रियल स्टेट एंड बिजनेस सॉल्यूशन, दिव्यानी प्रापर्टी लिमिटेड, बीएन गोल्ड, मिलियन माइल्स, फ्यूचर गोल्ड, मेसर्स बिनोदिनी प्रोजेक्ट लिमिटेड शामिल है।

4 साल पहले 27779 लोगों ने दिए थे आवेदन


चिटफंड कंपनियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन 4 साल पहले से ही कार्रवाई कर रही है। उस समय जब कंपनियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लोगों से आवेदन मंगाया तो मात्र 27779 लोगों ने आवेदन दिए थे, लेकिन यह संख्या आप 89 हजार के पार हो गई है।

एजेंटों ने अपने करीबियों से ही जमा कराए रकम


चिटफंड कंपनियों के अधिकांश एजेंटों ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने करीबियों और रिश्तेदारों से ही रकम निवेश कराया है। कई लोग इसी वजह से दबाव बना रहे हैं कि रकम को वापस करो। शासन से जब मिलेगा तब मिलेगा। कई लोगों ने तो अपने रिटायरमेंट की राशि भी जमा कराई है।

डाटा एंट्री की जा रही फिर शासन को भेजेंगे


जिला कोषालय अधिकारी जीएस जागृति का कहना है कि निवेशकों के आवेदनों की डाटा एंट्री कराई जा रही है। एंट्री होने के बाद शासन को भेजा जाना है। लेकिन कोई और गाइडलाइन अभी नहीं आई है।