कोरबा। कल देर शाम बालको पुलिस द्वारा एक शिकायत के आधार पर डीजल से भरी टैंकर को जप्त कर संदिग्ध डीजल की जांच की जा रही है. पानी जैसा दिखने वाला यह तरल पदार्थ शहर की प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्टिंग कंपनी आरकेटीसी का होना बताया जा रहा है. डीजल के रूप में काम आने वाला यह तरल पदार्थ कभी बायोडीजल तो कभी इंडस्ट्रियल डीजल के नाम पर खपाए जाने की जानकारी सामने आई है. बताया संदिग्ध डीजल की जा रहा है कि पानी जैसा दिखने वाला यह तरल पदार्थ डीजल के रूप में उपयोग होता है और इसका बाजार मूल्य डीजल से लगभग 20- 25 रु. लीटर कम होता है.
ज्ञात हो कि पिछले दिनों कलेक्टर कोरबा रानू साहू ने बायोडीजल के विक्रय के पूर्व उसकी अनुमति जिला प्रशासन से लेने के निर्देश दिए थे बावजूद इसके शहर में बायोडीजल के नाम पर चल रहे इमोर्टेड डीजल का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है.
कल देर शाम बालको पुलिस द्वारा संदिग्ध डीजल से भरा हुआ टैंकर जप्त किए जाने के बाद आज खाद्य विभाग की टीम जांच में जुटी है ।
गौरतलब है कि उर्जाधानी में खदानों से निकलने वाले चोरी के डीजल के बाद सस्ता डीजल, इंडस्ट्रियल डीजल, इंपोर्टेड डीजल और अब बायोडीजल के नाम पर अवैध डीजल का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। जिसमें शहर के कई सफेदपोश नामी-गिरामी लोगों के शामिल होने की खबर सामने आई है. टैंकर ड्राइवर का कहना है कि वह उरगा स्थित ट्रांसपोर्ट कंपनी के पेट्रोल पंप से उक्त संदिग्ध डीजल लेकर कंपनी की गाड़ियों में सप्लाई हेतु जा रहा था. ऐसे में संदिग्ध डीजल की जांच के साथ-साथ उरगा स्थित कंपनी का डिपो भी जांच के घेरे में आ सकता है।
एक आरटीआई कार्यकर्ता मनीष राठौर की शिकायत के बाद बायोडीजल यानी आयातित द्रब्य को पकड़ने खाद्य विभाग की टीम ने जाल बिछाई थी। आखिरकार खाद्य विभाग की टीम ने नकली डीजल कारोबारी को धर दबोचा है।प्रशासन की टीम ने रिसदी चौक पर गाड़ियों में खपाने के लिए लाए गए केमिकल (नकली डीजल) से भरा चलित टैंकर जब्त किया। टैंकर में 2000 लीटर केमिकल लिक्विड भरा है। इसे बायोडीजल कहा जा रहा है लेकिन यह बायोडीजल नहीं बल्कि मोबिल बनाने में इस्तेमाल होने वाला बेस पेट्रोलियम प्रोडक्ट है। खाद्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक कलेक्टर को सूचना मिलने के बाद कार्रवाई के निर्देश मिले थे। संदिग्ध रूप से मिले इस तरल पदार्थ की जांच इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी भी कर रहे हैं और यदि सही दिशा में जांच संपादित होती है तो अवैध रूप से खपाए जा रहे अवैध काले कारोबार का सच सामने आ सकता है l
इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता मनीष राठौर ने बताया कि उन्होंने अवैध रूप से विक्रय हो रहे इस इंपोर्टेड डीजल की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से की है। बायोडीजल की आड़ में तथाकथित तेल माफियाओं द्वारा केंद्र और राज्य सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई जा रही है.
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