वन विभाग ने वन्यजीव डाक्टरों की भर्ती के लिए शासन को पत्र भेजा

रायपुर । Wildlife Doctors: प्रदेश में वन्यजीवों की देखभाल भगवान भरोसे है। पिछले तीन माह से वन विभाग चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। वन विभाग ने वन्यजीव डाक्टरों की भर्ती के लिए शासन को पत्र भेजा है। इससे पशु चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया के आसार नजर आने लगे हैं। वर्तमान में सिर्फ तीन डाक्टरों के कंधों पर पूरा दारोमदार आ गया है। पशु चिकित्सकों की कमी के चलते वन्यजीवों की देखभाल भी नहीं हो पा रही है। वन विभाग के अधिकारी ने पशु चिकित्सकों की भर्ती के लिए शासन को फाइल भेज दी है, जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

ज्ञात हो कि प्रदेश में वन्यजीवों की देखभाल के लिए 13 पशु चिकित्सकों की भर्ती की थी, जिसमें 11 पशु चिकित्सकों का चयन पीएससी में हो गया है। पीएससी में चयन होने के बाद पशु चिकित्सकों ने विभाग को अलविदा बोल दिया है, इसलिए वन विभाग के पास सिर्फ तीन डाक्टर ही बचे हैं। विभाग से पशु चिकित्सकों के जाने के बाद वन्य जीवों की देखभाल बेहतर तरीके से नहीं हो पाएगी। वन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक का कहना है कि वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के लिए प्रदेश भर में जाना पड़ता है। विभाग के पास सिर्फ तीन डाक्टर ही बचे हैं, इसलिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

सिर्फ तीन डाक्टर के भरोसे प्रदेश भर के वन्यजीव

प्रदेश में जंगल सफारी, नंदनवन, कानन पेंडारी, बारनवापारा, भोरमदेव, उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व, कांगेर घाटी आदि जगहों पर वन्य प्राणियों की देखभाल महज तीन डाक्टरों के कंधों पर है। प्रदेश भर में वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के लिए डाक्टरों की टीम अलग-अलग जिले में जाती रहती है। डाक्टरों की कमीं से जूझ रहे विभाग ने वर्ष 2019 में संविदा पर 18 डाक्टरों का चयन किया था, जिसमें सिर्फ 13 पशु चिकित्सक ही ज्वाइन किए थे। बाकी के आठ पशु चिकित्सकों ने ज्वाइन नहीं किया था।

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. आरके वर्मा पहले से ही विभाग में सेवा दे रहे हैं, इसलिए कुल 14 डाक्टरों की टीम प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों में वन्यजीव की देखभाल कर रही थी, जिसमें 11 पशु चिकित्सकों के जाने के बाद एक बार फिर विभाग पशु चिकित्सकों की कमी से जूझने लगा है।