असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए PhD की अनिवार्यता नहीं, UGC ने 2 साल तक बढ़ाई छूट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, UGC ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए निर्धारित योग्यताओं में एक बार फिर बदलाव किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा की गई घोषणा के मद्देनज़र, UGC ने अब असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए अनिवार्य PhD की आवश्यकता को हटा दिया है. आयोग ने अगले 2 वर्षों के लिए यह छूट बढ़ाई है. जारी नियम के अनुसार, जुलाई 2023 तक PhD की अनिवार्यता खत्‍म रहेगी.

विभिन्न विश्वविद्यालयों में भर्ती को सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक कदम के तहत, UGC ने अनिवार्य PhD की प्रयोज्यता की डेट 01 जुलाई, 2021 से बढ़ाकर 1 जुलाई, 2023 करने का निर्णय लिया है. हालांकि, असिस्‍टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए UGC NET क्‍वालिफिकेशन अभी भी अनिवार्य रहेगा.

आयोग द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, “उच्च शिक्षा के शीर्ष निकाय UGC ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के नियमों में संशोधन किया है. अब 1 जुलाई, 2023 तक विश्वविद्यालयों के विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए PhD डिग्री अनिवार्य योग्यता नहीं होगी.”

UGC ने आगे कहा, “यह संशोधन भारत के राजपत्र के भाग- III, खंड- 4 में हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया है, जिसे आधिकारिक वेबसाइटों से डाउनलोड किया जा सकता है.”

COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न समस्‍याओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है. आधिकारिक अधिसूचना केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा PhD आवश्यकता पर 1 वर्ष की छूट की घोषणा के बाद जारी की गई है. अधिकांश शीर्ष संस्थानों और विश्वविद्यालयों को शिक्षकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और इस निर्णय से इन भर्तियों में तेजी आ सकेगी.