ऽ भारतीय जनता पार्टी की कोरबा इकाई ने घेरा बिलासपुर में एसईसीएल का मुख्यालय
ऽ भाजपा कोरबा इकाई के उपाध्यक्ष गिरीष शर्मा और उनके समर्थकों ने एसईसीएल को लिया आड़े हाथों, कहा कि एसईसीएल को प्राथमिकता के आधार पर कोरबा के उद्योगों को कोयला देना होगा।
विनीत चौहान,बिलासपुर,11 अक्टूबर ( वेदांत समाचार )। कोयले की किल्लत के कारण देश भर में पैदा हुए अफरातफरी के माहौल ने अब छत्तीसगढ़ राज्य के उद्योगों को भी अपने चपेट में ले लिया है। स्थिति को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की कोरबा इकाई के उपाध्यक्ष गिरीश शर्मा ने आज अपने समर्थकों के साथ बिलासपुर में एसईसीएल के मुख्यालय का घेराव किया। पार्टी समर्थकों ने एसईसीएल की कार्य शैली को आड़े हाथों लेते हुए जमकर नारेबाजी की। श्री शर्मा ने कहा कि एसईसीएल की कार्य शैली के कारण आज कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्र के अनेक उद्योगों में तालाबंदी की नौबत आ गई है। हजारों मजदूरों और उनके परिवारों की रोजी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है।
श्री शर्मा ने एसईसीएल की कार्य शैली पर निशाना साधते हुआ कहा कि कोरबा जिला कोयले के उत्पादन में पूरे एशिया में विशिष्ट स्थान रखता है बावजूद इसके कोरबा जिले के ही बिजलीघरों और सीपीपी आधारित उद्योगों को कोयले की पर्याप्त आपूति नहीं हो रही है। स्थिति यह बन गई है कि अनेक बिजली घरों में कोयले का स्टॉक दो-तीन दिन का ही बचा है। उद्योगों में इस स्थिति को अति गंभीर माना जाता है। श्री शर्मा ने सवाल किया कि जब कोयले का उत्पादन कोरबा में ही हो रहा है तो ऐसे कौन से कारण है कि वह कोयला स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर देने के बजाए एसईसीएल प्रबंधन लगातार दूसरे प्रदेशों में भेज रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही संबद्ध मंत्रालयों के मंत्रियों को स्थिति से अवगत कराया जा रहा है। श्री शर्मा ने कहा कि देश और प्रदेश में उपजा वर्तमान संकट अभूतपूर्व है। छत्तीसगढ़ राज्य में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद यहां के उद्योगों का तालाबंदी की स्थिति में पहुंचना एसईसीएल की अक्षमता को प्रदर्शित करता है। श्री शर्मा ने कहा कि एसईसीएल को स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता के आधार पर कोयला देना ही होगा।
श्री शर्मा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने एसईसीएल को एक पत्र भी सौंपा है जिसमें स्थानीय उद्योगों की कोयले संबंधी समस्याओं पर एसईसीएल को तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है। पत्र में एसईसीएल के साथ उसके उपभोक्ताओं के साथ हुए दीर्घकालिक फ्यूल सेल एग्रीमेंट (एफएसए) को बहाल करने के लिए कहा गया है। पत्र में एसईसीएल की कार्य शैली पर प्रश्न उठाते हुए कहा गया है कि पर्याप्त संसाधनों के बावजूद एसईसीएल कोयले के उत्पादन में लगातार पिछड़ रहा है। एसईसीएल द्वारा राज्य की बहुमूल्य खनिज संपदा कोयला का दोहन तो किया जा रहा है परंतु वह कोयला छत्तीसगढ़ के कैप्टिव विद्युत संयंत्रों में पहुंचने की बजाए राज्य के बाहर के उद्योगों को दिया जा रहा है। प्रतिमाह एसईसीएल की खदानों से 11 मिलियन मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन होता है। इसमें से 7 मिलियन मीट्रिक टन कोयला प्रतिमाह छत्तीसगढ़ राज्य के विद्युत संयंत्रों में खप जाता है। आज जबकि प्रतिमाह एसईसीएल मात्र 6 मिलियन मीट्रिक टन कोयला उत्पादन कर रहा है ऐसे में राज्य के संयंत्रों को 5 मिलियन मीट्रिक टन कोयले की कमी हो गई है।
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