देवालयों में असंख्य शक्तिपुंज की स्थापना के साथ मां शक्ति का महापर्व प्रारंभ हुआ

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गुरुवार की शाम विधि-विधान से देवालयों में असंख्य शक्तिपुंज की स्थापना के साथ मां शक्ति का महापर्व प्रारंभ हुआ। पहले ही दिन देवी दर्शन को मंदिरों में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचे और मां की शरण में आते हुए उनके दरबार में सारा संसार नतमस्तक हुआ। उधर विदेशों में भी माता के जयकारे गूंजे और सात समुंदर पार से मन्नात के दीप प्रज्ज्वलित कराए गए। इनमें अमेरिका, मलेशिया और सऊदी अरब के अलकोबर में निवासरत अप्रवासी भारतीयों ने भी परदेश से मां के सम्मुख अपनी मुरादें रखते हुए प्रार्थना की और ज्योतिकलश स्थापित कराए गए।

शहर के मां सर्वमंगला एवं भवानी मंदिर समेत जिले के प्रमुख देवी स्थलों में नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की गई। श्रद्धालुओं ने कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करते हुए मातारानी के दर्शन किए। प्रशासन से निर्धारित दिशा-निर्देशों के तहत व्यवस्था बनाए रखने मंदिर परिसर में पुलिस की भी तैनाती की गई है। पहले नवरात्र को मंदिर परिसर में मां शैलपुत्री की आराधना विधि-विधान के साथ की गई। मंदिर के राजपुरोहित नन्हा नमन पांडेय व उनकी पत्नी ने विधि-विधान के साथ पूजन किया और ज्योतिकलश प्रज्ज्वलित कर आठ दिनों की अनवरत आराधना का शुभारंभ किया। राजपुरोहित पांडेय ने बताया कि मां शैलपुत्री को सफेद रंग की पोशाक धारण कराई गई और गाय के घी का भोग लगाया गया। उन्होंने बताया कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से पुकारा जाता है। मां दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शांत, सौम्य और प्रभावशाली है। मां शैलपुत्री के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल है। उनकी सवारी नंदी माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष विदेश में रहने वाले अप्रवासी भारतीय परिवारों ने भी मां सर्वमंगला के दरबार में मनोकामना दीप प्रज्ज्वलित कराए हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका के भक्त युवीन जैन व रीसित एवं हरविंदर सिंह चन्नाो, मलेशिया से तन्विका कलीवनी एवं अलकोबर सऊदी से संजीव एवं प्रीति सोनी शामिल हैं।

वाट्सएप पर भी मिल सकेगा दर्शन का लाभ
इस दौरान कई भक्त परिवार समेत पहुंचे और अपने नंबर के कलश पर स्वयं ज्योति प्रज्ज्वलित की और मनोकामना दीप जलाकर भक्तों ने अपनी मन्नात मां के समक्ष रखी। मां सर्वमंगला मंदिर की बात करें, तो यहां घी के 800 और तेल ज्योति के आठ हजार कलश स्थापित किए गए हैं। मंदिर प्रबंधन के अनुसार बारी-बारी दर्शन की अनुमति एवं दीप प्रज्ज्वलित करने की सुविधा प्रदान की गई। कोविड-19 की रोकथाम के लिए शासन-प्रशासन से निर्धारित किए गए गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जा रहा। मंदिर के भीतर भी एक बार में अधिकतम दस से 12 दर्शनार्थियों को ही प्रवेश दिया जा रहा। वाट्सएप पर भी मां सर्वमंगला के दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

देवी पंडालों में भी माता विराजमान, भक्त जुटे
इधर शहर व उपगरीय क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण अंचलों में भी जगह-जगह सार्वजनिक पूजा उत्सव समितियों की ओर से पंडाल स्थापित किए गए हैं, जहां पूजा-पाठ के साथ माता विराजमान हुईं। इन पंडालों में दर्शन प्राप्त करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से बैठक लेकर नवरात्र पर देवी पंडालों की व्यवस्था को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। पंडालों में पूजा स्थल के भवन-हाल-परिसर की क्षमता के 50 प्रतिशत के अधीन व्यक्ति शामिल हो सकेंगे। लोगों के लिए मास्क, सैनिटाइजर एवं फिजिकल डिस्टेंसिंग अनिवार्य होगा। धार्मिक स्थलों के प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर डिस्पेंसर एवं थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था पूजा स्थल के संचालक को करनी होगी।

सूने रहे ज्यादातर डांडिया मैदान, गरबा प्रेमी मायूस
नवरात्र पर जहां मंदिरों व देवी पंडालों में भक्तों का जमावड़ा किसी मेले का आभास कराता है, अनेक स्थानों पर सार्वजनिक रूप से गरबा-डांडिया की धूम युवाओं में उत्साह भरती है। विशेषकर शारदीय नवरात्र में बड़ी संख्या में युवा और बच्चे गरबा-डांडिया शुरू होने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पर कोविड-19 की मुश्किलों को देखते हुए इस बार भी ज्यादातर डांडिया मैदान सूने दिखाई दिए और गरबा-डांडिया के शौकीन मायूस हुए। बीते वर्षों तक एमपीनगर, आरपीनगर फेस वन और टू, रविशंकर शुक्ल नगर, सीएसईबी पूर्व, उपनगरों में एनटीपीसी व एचटीपीपी कालोनी में डांडिया आयोजित होता रहा है। इस बार एक-दो स्थानों को छोड़कर सभी मैदान सूने पड़े हैं।