रायपुर। विवाह के फेरे लेने के लिए अब मार्च महीने में मात्र दो मुहूर्त बचे हैं। इसके पश्चात 7 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएगा। होलाष्टक से लेकर होलिका दहन तक शुभ संस्कार नहीं होंगे। चूंकि होलाष्टक समाप्त होने के अगले ही दिन 14 मार्च से सूर्य, मीन राशि में प्रवेश कर रहा है। इसे मीन मलमास कहा जाता है। यह एक महीने तक चलेगा। इस दौरान किसी भी तरह का शुभ संस्कार नहीं किया जाएगा। होलाष्टक से लेकर मीन मलमास के समाप्त होते तक यानी अगले डेढ़ महीने तक कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है।
महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार होलिका दहन के पूर्व के आठ दिनों को अशुभ काल माना जाता है। इसे होलाष्टक कहा गया है। होलाष्टक के आठ दिनों में किसी भी तरह का शुभ संस्कार संपन्न नहीं किया जाता। ऐसी मान्यता है कि भक्त प्रहलाद को आठ दिनों तक कठोर यातना दी गई थी। इन्हीं आठ दिनों के काल को होलाष्टक कहा जाता है। इन आठ दिनों तक ग्रह नक्षत्र भी शुभ अवस्था में नहीं होते।
मीन मलमास में नहीं होते शुभ कार्य
सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तो उसे मीन मलमास कहा जाता है। जब तक सूर्य मीन राशि में विद्यमान रहता है, तब तक वह मलीन अवस्था में होता है। चूंकि सूर्य को विवाह का कारक ग्रह माना जाता है इसलिए सूर्य के मलीन अवस्था में होने के कारण विवाह समेत अन्य संस्कार इस दौरान नहीं किया जाता।
सूर्य 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश कर रहा है और 14 अप्रैल तक विद्यमान रहेगा। सूर्य जब 15 अप्रैल को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा, इसके बाद ही शुभ संस्कार किया जा सकेगा। शुभ संस्कारों में सगाई, विवाह, मुंडन, जनेऊ सहित कोई भी शुभ संस्कार नहीं किया जा सकेगा।
विवाह के लिए बचे मात्र दो मुहूर्त
7 मार्च से होलाष्टक लग रहा है। वहीं, 14 मार्च से मीन मलमास शुरू हो जाएगा। ऐसे में अब डेढ़ महीने तक कोई शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे।
विवाह के शुभ मुहूर्त
मार्च- 6 और 7
अप्रैल- 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 व 30
मई- 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27 और 28 मई
जून- 2, 4, 5, 7 और 8 जून
नवंबर- 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर
दिसंबर- 4, 5 और 6 दिसंबर
इन चार महीनों में नहीं है कोई भी शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभारंभ होगा। इसके पश्चात चार माह तक विवाह एवं अन्य संस्कार नहीं होंगे। मात्र पूजा, पाठ, कथा का आयोजन होगा। जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है।