हंसदेव बांगो जल विद्युत गृह ने बनाया सर्वाधिक उत्पादन का कीर्तिमान

कोरबा,5 अक्टूबर ( वेदांत समाचार) । विद्युत उत्पादन कंपनी के बांगो स्थित मिनीमाता जल विद्युत संयंत्र ने सितंबर माह में 98.296 फीसद कैपिसिटी यूटीलाइजेशन फैक्टर (सीयूएफ) के साथ 84.928 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन किया। संयंत्र स्थापना काल से लेकर अब तक एक माह में यह सर्वाधिक बिजली उत्पादन का रिकार्ड बना है।

हसदेव ताप विद्युत संयंत्र अंतर्गत मिनीमांता बांगो जल विद्युत संयंत्र संचालित है। इस बार बारिश अच्छी होने की वजह से बांगो बांध से पानी भी लगातार छोड़ा गया। जरूरत के मुताबिक पानी संयंत्र के जरिए ही हसदेव में प्रवाहित किया जा रहा था। इससे संयंत्र की इकाइयों से सतत बिजली होते रहा, पर सितंबर माह में अच्छी बारिश होने की वजह से बांगो बांध में पानी भराव हो गया। स्थिति यह रही कि जल विद्युत संयंत्र जरिए पानी छोड़ने के साथ बांगो बांध के तीन गेट भी खोलने पड़ गए थे। संयंत्र से पानी जाने की वजह से विद्युत कंपनी प्रबंधन ने तीनों इकाइयों को सतत परिचालन में रख बिजली उत्पादन किया। इससे संयंत्र ने बिजली उत्पादन का नया रिकार्ड बनाया। कंपनी के प्रबंध निदेशक एनके बिजौरा ने बताया कि सितंबर माह में संयंत्र की तीनों इकाइयां परिचालन में रही और एक माह में बिजली उत्पादन का नया कीर्तिमान बनाई। संयंत्र के 25 वर्ष के कार्यकाल में सितंबर माह में सर्वाधिक 84.928 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन अधिकारी- कर्मचारियों के सहयोग व निष्ठा से किए गए कार्य से हो सका। वहीं 98.296 पीएलएफ सीयूएफ रहा। उन्होंने भविष्य में भी बेहतर कार्य कर संयंत्र को नई उंचाइयों में ले जाने का आव्हान अधिकारियों कर्मचारियों से किया।

इसके पहले वर्ष 2011 में सर्वाधिक उत्पादन
मिनीमाता बांगो जल विद्युत संयंत्र ने इसके पहले वर्ष 2011 के सितंबर माह में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 81.356 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन किया था। जबकि कैपिसिटी यूटीलाइजेशन फैक्टर (सीयूएफ) 94.162 फीसद था।

40-40 मेगावाट की तीन इकाई
राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी का बांगो जल विद्युत संयंत्र में 40-40 मेगावाट की तीन इकाइयां (कुल 120 मेगावाट क्षमता) लगी हुई है। तीनों इकाइयों को चलाने के साथ ही पृथक- पृथक गणना की जाती है। जरूरत पड़ने पर बांगो बांध से पानी संयंत्र के जरिए ही बाहर छोड़ा जाता है। इससे आवश्यकता अनुरूप तीनों इकाई चलाई जाती है। अविभाजित मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश विद्युत मंडल ने वर्ष 1994-1995 में इस संयंत्र की स्थापना की थी।