डेढ़ माह के अंदर केवल 18 लाख पुराने बारदानों का हो सका संग्रहण

कोरबा5 अक्टूबर ( वेदांत समाचार) । । नए खरीफ वर्ष के लिए धान खरीदी की तैयारी शुरू हो चुकी है। बारदाना संग्रहण का कार्य डेढ़ माह बाद 18 लाख के आंकड़े में आकर सुस्त पड़ गया है। उपार्जन केंद्रों के लिए दो साल से नए बारदानों की आपूर्ति नहीं हुई है। इस वजह से पुराने बारदानों में उपयोगी को संग्रहण में काफी मुश्किलें आ रही हैं। पीडीएफ दुकानों में उपलब्ध बारदाने चार से पांच बार उपयोग हो चुके हैं। जिले में 11 लाख क्विंटल के आसपास धान खरीदी होती है। जिसके लिए 38 लाख बारदानों की आवश्यकता है। अभी भी संग्रहण लक्ष्‌य को पूरा करने में 20 लाख बारदानों की जरूरत है, जो असंभव नजर आ रहा है।

यह तय है कि पुराने बारदानों में भराई से खरीद केंद्रों में फिर बिखरे धान की भरमार रहेगी। उठाव के दौरान झड़ने से धान की बर्बादी होगी। धान खरीदी की शुरुआत के लिए अभी तिथि सुनिश्चित नही हुई है। विपणन और खाद्य विभाग ने बारदाना संग्रहण का कार्य शुरु कर दिया है। पिछले दो सालों से जिले में बारदाने नही आये हैं। जुट के बारदानों को एक बार उपयोग किए जाने के बाद उसमें खिंचाव आ जाता है। अधिक बार उपयोगिता से धान झड़ने की संभावना बढ़ जाती है। वर्तमान में जिन बारदानों का संग्रहण किया जा रहा उसमे चार से पांच बार धान और चावल की भराई हो चुकी है। विपणन विभाग को केवल पीडीएस दुकानों से बारदाने उपलब्ध हो रहे है, जहां से लक्ष्‌य के अनुरूप 38 लाख मिलना संभव नहीं। पुराने बारदानों में भराई करने के बाद धान को खरीद केंद्र से राइस मिल ले जाते तक आधा से एक किलो झड़ जाता है। जिसकी भरपाई करने के लिये मिलर्स भी कम चावल भेजते हैं। आपसी सांठ- गांठ के कारण अंततः हितग्राहियों को कम चावल आवंटित होता है। कुल मिलाकर माना यह जा रहा कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार पर्याप्त मात्रा में पुराना बारदाना मिल पाना मुश्किल है। अधिकारियों की माने तो बारदानों की समस्या रही तो किसानों बारदानों में ही खरीदी की जाएगी।

बारदानों की समस्या को देखते हुए विपणन विभाग ने राज्य सरकार से 15 लाख नए जूट व प्लास्टिक बारदानों की मांग की है। कोरोना काल में बुनाई नहीं होने के कारण इस साल भी आपूर्ति होना मुश्किल है। धान खरीदी की शुरूवात में आपूर्ति होने पर राहत होगी अन्यथा पुराने बारदानों के भरोसे इस बार भी खरीदी करनी होगी। विभागीय अधिकारियों की माने पर्याप्त मात्रा में बारदाना संग्रहित नहीं होने से किसानों के बारदानों में खरीदी की जाएगी। उचित मूल्य दुकानों से खाली हो रहे जूट बारदानों का उठाव किया जा रहा है। दुकानों से शक्कर बोरियां भी खाली हो रही है, लेकिन उसकी सिलाई धान रखने के मापदंड के अनुसार नहीं होने से नहीं लिया जा रहा।

राइस मिलर्स स्वयं के लिए कर रहे संग्रहण

बारदानों की आवश्यकता को देखते हुए व्यापारी व राइस मिलर्स को भी सहयोग करना है, लेकिन वे खुद के उपयोग के लिए संग्रहित कर रहे हैं। दरअसल सरकार प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान की खरीदी करती है। शेष धान को व्यापारी किसानों से औने- पौने दाम में खरीदते हैं, जिसके लिए उन्हे बारदानों की आवश्यकता होती है। बीते वर्ष सितंबर माह में धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीयन और धान भराई के लिए व्यापरियों से भी पुराने बारदानों का संग्रहण शुरू हो चुका था। इस बार शासन से गाइडलाइन जारी नहीं होने संग्रणह शुरू नहीं हुआ है। इससे मिलर्स और व्यापरियों को खुले बाजार से बारदाना खरीदी करने का अवसर मिल गया है। फैक्ट फाइल

11.20- लाख क्विंटल धान खरीदी का का लक्ष्‌य

38- लाख बारदानें की जरूरत

18- लाख बारदानें संग्रहित

452- उचित मूल्य दुकान

49- उपार्जन केंद्र

पुराने बारदानों का संग्रहण जारी है। अभी तक 18 लाख बारदानों का संग्रहण किया जा चुका है। धान खरीदी के शुरूवात के पहले ही उपार्जन केंद्रों तक बारदाने पहुंचा दिए जाएंगे। व्यवस्थित धान खरीदी के लिए सरकार से भी बारदानों की मांग की गई है।