हाल ही में यूपीएससी की ओर से आयोजित होने वाली सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट आया. इस रिजल्ट के बाद अब आईएएस, आईपीएस आदि का जिक्र हो रहा है. अक्सर लोगों को मानना होता है कि जो यूपीएससी सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर लेता है तो वो आईएएस बन जाता है. लेकिन, ऐसा नहीं होता है. सिविल सर्विसेज की परीक्षा करने के बाद अलग अलग रैंक मिलती है और रैंक आदि के आधार पर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसे पद मिलते हैं.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर आईएएस, आईपीएस, आईएफएस में क्या अंतर होता है और साथ ही जानेंगे कि आखिर ये कैसे तय होता है कि किसे कौनसा पद मिलेगा?
क्या होता है IAS?
आईएएस की सेवा भारत सरकार के प्रशासनिक सिविल सेवा है. सिविल सेवा परीक्षा में टॉप रैंक हासिल करने वाले उम्मीदवारों को आईएएस बनाया जाता है. यह प्रशासनिक सेवाओं से जुड़ा रहता है. आईएएस ऑफिसर कैबिनट सेकेट्री, अंडर सेकेट्री आदि भी बन सकते हैं. यह अलग अलग राज्य सरकारों के अधीन पोस्ट किए जाते हैं.
क्या होता है IPS?
इसका मतलब है इंडियन पुलिस सर्विस. ये राज्य पुलिस और सभी भारतीय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मचारियों को बल प्रदान करते हैं. गृह मंत्रालय को आईपीएस अधिकारियों के कैडर को नियंत्रित करने के लिए अधिकृत किया गया. एक आईपीएस ऑफिसर मुख्यतः कानून और व्यवस्था को बनाए रखने, दुर्घटनाओं से बचने और निपटने, कुख्यात अपराधियों और अपराध को रोकने, एवं यातायात प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है. केंद्र सरकार में एक IPS अधिकारी, CBI, IB और RAW का Director बन सकता है.
क्या होता है आईएफएस?
आईएफएस का मतलब इंडियन फॉरेन सर्विस. ये अधिकारी विदेशी मामलों को लेकर काम करते हैं और विदेश मंत्रालय में अपनी सेवाएं देते हैं. आईएफएस अधिकारी यूपीएससी क्लियर करने के तीन साल की ट्रेनिंग के बाद आईएफएस ऑफिसर बनते हैं. आईएफएस अधिकारी डिप्लोमेसी से जुड़े मामलों में काम करते हैं और द्विपक्षीय मामलों को हैंडल करते हैं.
क्या होता है आईआरएस?
सिविल सेवा की आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के बाद आईआरएस का पद होता है. इस पद पर अधिकारी के रूप में प्रशासन और नीति निर्माण प्रत्यक्ष कर (आय, कॉर्पोरेट, धन) और अप्रत्यक्ष कर (केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और सीमा शुल्क और) करों की पूरी जानकारी रखनी होती है. यह केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड वित्त मंत्रालय के अधीन राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करते है.
कैसे होता है फैसला?
वैसे तो मेंस के रिजल्ट के बाद एक फॉर्म भरना होता है, जिसमें अपने बारे में और अपनी मनपसंद रैंक आदि की जानकारी देनी होती है. इसके आधार पर इंटरव्यू होता है और फिर सभी की अपनी प्रतिभा के आधार पर रैंक अलॉट की जाती है.
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