रायपुर। 26 सितम्बर (वेदांत समाचार): रायपुर के वार्डों की साफ-सफाई के नाम पर हर महीने लाखों रुपये कमाई करने वाले निगम के सफाई ठेकेदार इन दिनों खासे परेशान हैं। दरअसल, जनप्रतिनिधियों तक यह शिकायत पहुंचने लगी थी कि वार्डों में जितने सफाई कामगारों से सफाई करवाने का दावा ठेकेदार करते है, उतने कामगार होते नहीं है। सफाई के नाम पर खानापूर्ति करके घर बैठे निगम से पैसा ले रहे हैं।
लगातार शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव सक्रिय होकर अधिकारियों के साथ वार्डों में छापेमारी कर रोज गैरहाजिर सफाई कामगारों को चेतावनी देने के साथ ठेकेदारों पर जुर्माना लगा रहे हैं। जुर्माने की राशि भी कम नहीं है, दस से बीस हजार रुपये का जुर्माने पटाने वाले ठेकेदार अब पैसा देने से बचने का जुगाड़ तलाशने में लगे हैं।
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राजधानी रायपुर समेत कई शहरों में शिक्षण संस्थान का संचालन करने वाले एक रसूखदार परिवार का मामला चर्चा में है। घर की लक्ष्मी ने ही प्रताड़ना का आरोप लगाकर सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया। दरअसल लगातार ससुराल में मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ित होती आ रही बहू ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन रसूख के आगे शिकायत दब गई। पीड़िता ने भी हार नहीं मानी।
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न्याय के घर में देर होता है अंधेर नहीं, आखिरकार यह कहावत सच साबित हुई। पेश किए गए ठोस दस्तावेजों के आधार पर रायपुर कोर्ट ने खुद ही प्रकरण को संज्ञान में लेकर शिक्षण संस्थान से जुड़े परिवार के चार आरोपितों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर सभी को पेश होने कहा है। पुलिस को भी कोर्ट ने मामले में कार्रवाई करने के आदेश दिए है। अब सूबे में चर्चा होने लगी कि कोर्ट के आगे रसूख काम नहीं आता।
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यह कैसा स्वच्छता पखवाड़ा
रायपुर रेल मंडल में इन दिनों स्वच्छता पखवाड़ा मनाया जा रहा है, वह भी रोज अलग-अलग थीम पर। बोर्ड के फरमान के चलते मजबूरी में ही सही रेलवे अधिकारी-कर्मचारी हर साल की तरह इस बार भी पखवाड़े की औपचारिकता निभा रहे हैं। सुबह के समय सूट-बूट में स्टेशनों में पहुंचकर अधिकारी-कर्मचारी हाथ में दस्ताना पहनकर गंदगी की सफाई करने के बजाए ऐसे स्थान पर झाड़ू लगाते दिखाई देते है, जो पहले ही चकाचक होता है।
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यह नजारा देखकर आम यात्री यह कहने से नहीं चूक रहा कि केवल फोटोग्राफी के लिए औपचारिकता हो रही है, भला कोई सूट-बूट और हाथों में दस्ताना पहनकर सफाई करता है। जिम्मेदार अगर सालभर पर सफाई पर ध्यान देते तो शायद पखवाड़े की आवश्कता नहीं पड़ती। ऐसी कई तस्वीर भी सामने आई जिसमें छह से सात अधिकारी एक जगह पर झाडू लगाते दिखाई दे रहे हैं, जबकि वह जगह पहले से साफ-सुथरी थी।
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रायपुर छोड़ दुर्ग में दुकानदारी
रायपुर रेलवे स्टेशन में अवैध वेडिंग का खेल कोई नया नहीं है।हर महीने रेलवे अधिकारियों को मोटी रकम देकर वेंडर लाखों की दुकानदारी रोज कर रहे है। आसपास के राज्यों से यहां आकर रेलवे अधिकारियों की सांठ-गांठ से बिना ठेका लिए बिरयानी बेचने वाले वेंडरों की पिछले दिनों पोल खुली तो खुद को और अफसरों के कहने पर कुछ महीने के लिए रायपुर छोड़कर दुर्ग और आसपास के स्टेशनों में अड्डा जमा लिया।
टी स्टाल का ठेका लेने वाला नागपुुर का एक वेंडर ने तो हद ही कर दी। रायपुर छोड़कर अब उसके आदमी दुर्ग ही नहीं बल्कि आसपास के स्टेशनों में धड़ल्ले से बिरयानी बेचने लग गए। वेंडर भी यह कहने से नहीं चूक रहा कि अधिकारियों ने ही मामला ठंडा पड़ने तक रायपुर स्टेशन में बिरयानी न बेचने को कहा है, सो हम वही कर रहे हैं।
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