कोरबा ,एसईसीएल की कुसमुण्डा खदान प्रबंधन के द्वारा विगत करीब 3 माह के बरसात के दौर में अपेक्षित ध्यान नहीं देने के कारण खदान का हाल बेहाल हो चला है। खदान क्षेत्र में आवागमन की सड़कों के प्रति निरंतर देख-रेख व मरम्मत का अभाव भी बना हुआ है जिसके कारण काफी दिक्कतों का सामना कोयला परिवहन में लगे वाहनों को करना पड़ रहा है। कोल इंडिया के चेयरमेन, सेक्रेटरी, के खदान दौरे पर सब कुछ चकाचक बताने वाले एसईसीएल अधिकारियों की पोल खुल गई है, सीएमडी के निर्देश पर चार दिन से खदान में मौजूद डायरेक्टर टेक्निकल भी कोयला उत्पादन पर अधिकारियों की कारगुजारियों को देख रहे है
कुसमुण्डा परियोजना के अधिकारियों द्वारा बरती जाने वाली उदासीनता का आलम यह है कि आज भी जहां क्षेत्र की जनता सड़क की मार झेल रही है, वहीं खदान के भीतर भी हालात खराब हैं। कुसमुण्डा व अन्य खदान के दौरे पर आने वाले कोल इंडिया स्तर के अधिकारियों को भले ही स्थानीय कोयला अधिकारियों द्वारा कुछ समय के लिए सब कुछ चकाचक कर उत्पादन से लेकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त बताया जाता है, लेकिन इनके जाने के बाद हकीकत फिर से जिंदा हो उठती है। खदान सूत्र बताते हैं कि समय रहते अपेक्षित व्यवस्था न कर पाने के कारण लंबे समय से मांग अनुरूप कोयला की आपूर्ति भी कुसमुण्डा खदान नहीं कर पा रहा है और किसी तरह की कार्यवाही व जांच से बचने के लिए दूसरे कारण बताने से भी नहीं चूकता। कुसमुण्डा परियोजना प्रबंधन के कारण खदान और इसके आसपास के रहवासी भी परेशान हैं तो प्रशासन को भी सीएसआर के कार्यों में गुमराह किया जाता रहा है। इसी गुमराह करने का परिणाम है कि आज तक क्षेत्र की जर्जर सड़क का सुधार नहीं हो सका है। सिविल विभाग द्वारा कराए जाने वाले करोड़ों के रख-रखाव सहित निर्माण कार्यों की पोल भी समय-समय पर खुलती रही है। इनकी करतूतों का खामियाजा एक बार फिर सामने आया है जब खदान को बंद करने की नोटिस जारी की गई है। कुसमुण्डा प्रबंधन ने लगातार बारिश होने के कारण एवं डंपरों द्वारा कोयला खदान व कोल स्टॉक से रेल साइडिंग में कोयला भेजने के कारण सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाने का हवाला देकर रोड सेल की गाड़ियों का परिचालन संभव नहीं होना बताया है। कुसमुण्डा परियोजना के सिविल विभाग द्वारा सड़क मरम्मत का काम किया जाना है जिसके कारण रोड सेल की गाड़ियों का परिवहन 23 सितंबर 2021 की रात 11.59 बजे से अगले आदेश तक पूर्णत: बंद रखा गया है। कहा गया है कि काम पूर्ण होने के पश्चात पुन: गाड़ियों का परिचालन शुरू किया जाएगा। अब यह गौर करने वाली बात है कि खदान क्षेत्र की सड़क कोई एक-दो दिन या हफ्ते भर में नहीं बनने वाली बल्कि लंबा समय लगेगा। ऐसे में रोड सेल का काम करने वाले ट्रांसपोर्टरों के समक्ष संकट उत्पन्न होना लाजिमी है। एसईसीएल कुसमुण्डा प्रबंधन और सिविल विभाग की लापरवाही का खामियाजा दूसरों को अपनी रोजी-रोटी संकट में डालकर भुगतना पड़ रहा है।
[metaslider id="347522"]