इलेक्ट्रिक कार लगभग 74 पैसे की लागत में 1KM चलती है। कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलवाने पर 4 लाख रुपये लगते हैं।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें देश में बहुत तेजी से बढ़ी हैं। अधिकतर राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये के करीब हैं या उससे भी ज्यादा पहुंच चुके हैं। इससे परेशान होकर लोगों ने इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदनी शुरू कर दी हैं। हालांकि भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बहुत ज्यादा विकल्प नहीं हैं। जो गाड़ियां मिल भी रही हैं, उनकी कीमत बहुत ज्यादा है। ऐसे में आप अपनी पुरानी डीजल या पेट्रोल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलवा सकते हैं। इसमें लगभग 7 दिन का समय लगता है और आप डीजल-पेट्रोल के झंझट से मुक्त हो जाते हैं।

पेट्रोल और डीजल की कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने वाली अधिकतर कंपनियां हैदराबाद में हैं। ईट्रायो और नॉर्थवेएमएस जैसी कंपनियां किसी भी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदल देती हैं। आप अपनी वैगनआर, ऑल्टो, डिजायर, i10, स्पार्क या दूसरी कोई भी पेट्रोल या डीजल कार इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करा सकते हैं। इन कंपनियों की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आप इनसे संपर्क कर सकते हैं। ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार बेचती भी हैं।

कितना आएगा खर्च

कारों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रिक किट लगभग एक जैसी होती है। रेंज और पावर बढ़ाने के लिए बैटरी और मोटर में बदलाव किया जा सकता है। आपका खर्च इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कितने किलोवॉट की बैटरी और कितने किलोवॉट की मोटर कार में लगवाना चाहते हैं। जैसे, करीब 20 किलोवॉट की इलेक्ट्रिक मोटर और 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी का खर्च करीब 4 लाख रुपए तक होता है। वहीं 22 किलोवॉट की बैटरी में इसका खर्च करीब 5 लाख रुपए तक पहुंच जाता है।

क्या होगी रेंज

कार की रेंज उसमें लगी बैटरी और मोटर पर डिपेंड करती है। 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी करीब 70 किमी तक की रेंज देती है और 22 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी 150 किमी तक की रेंज देती है। वहीं कार में कम पावर की मोटर लगाने पर रेंज बढ़ जाती है, जबकि ज्यादा पावर की मोटर लगाने पर रेंज कम हो जाती है। इलेक्ट्रिक कार लगभग 74 पैसे में एक किमी तक चलती है, जबकि एक डीजल या पेट्रोल कार से 1 किलोमीटर चलने में कम से कम 5 रुपये का खर्च आता है।

कैसे कनवर्ट होगी आपकी कार

आपकी कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने के लिए उसका इंजन, फ्यूल टैंक, इंजन तक पॉवर पहुंचाने वाली केबल और दूसरे पार्ट्स के साथ AC का कनेक्शन भी बदला जाता है। इंजन और फ्यूल टैंक जैसे पार्ट्स की जगह इलेक्ट्रिक पार्ट्स जैसे मोटर, कंट्रोलर, रोलर, बैटरी और चार्जर लगाए जाते हैं। इसमें कम से कम 7 दिन का समय लगता है। ये सभी पार्ट्स कार के बोनट के नीचे ही फिट होते हैं और बैटरी की लेयर कार की चेसिस पर फिक्स होती है। फ्यूल टैंक को हटाकर उसकी कैप पर चार्जिंग पॉइंट लगाया जाता है। हालांकि कार के मॉडल में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता।

कैसे होगी बचत

पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने वाली कंपनी 5 साल की वारंटी भी देती हैं। ऐसे में आपको अगले 5 साल तक कार में कोई खर्च नहीं करना पड़ता है। बैटरी पर भी 5 साल की वारंटी रहती है और इसके बाद ही उस पर भी खर्च आता है। इलेक्ट्रिक कार में पेट्रोल या डीजल कार की तरह सालाना सर्विस भी नहीं होती है। कंपनी आपको किट और सभी पार्ट्स का वारंटी सर्टिफिकेट भी देती हैं, जो सरकार और RTO से मान्यता प्राप्त होता है।

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