रायपुर 19 सितम्बर (वेदांत समाचार) . राज्य की सड़कों पर वर्तमान में तीन लाख से ज्यादा 15 वर्ष या उससे भी ज्यादा पुरानी कार और दोपहिया दौड़ रही हैं। इनमें से 99 फीसदी से ज्यादा वाहनों के मालिकों ने न कभी फिटनेस टेस्ट कराया, न उनके दस्तावेजों की जांच ही की गई। जबकि 15 वर्ष बाद सभी वाहनों को फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य होता है, लेकिन वाहन मालिक परिवहन विभाग द्वारा दबाव नहीं बनाए जाने की वजह से टेस्ट ही नहीं कराते। परिवहन विभाग द्वारा प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में राज्य में सभी तरह के छोटे बड़े वाहनों को मिलाकर 15 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों की संख्या 4 लाख 82 हजार 263 है। इसमें से स्कूटर तथा बाइक की संख्या 2 लाख 46 हजार 904 है। जबकि मोपेड की संख्या 10 हजार 164 है। इसी तरह कार की संख्या 52 हजार 263 है। कार, बाइक तथा मोपेड की संख्या 3 लाख 9 हजार 331 है। तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो दुपहिया की संख्या 65 तथा कार की संख्या 35 प्रतिशत है। 1 अक्टूबर 2021 से केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार फिटनेस टेस्ट और स्क्रैपिंग सेंटर से जुड़े नियम लागू होंगे। इसके बाद सभी पुराने वाहनों को फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य होगा। जो भी टेस्ट में फेल होगा, उस वाहन को स्क्रैप मान लिया जाएगा।
वायु प्रदूषण बढ़ने का कारक
जितनी भी पुरानी कार या दूसरे वाहन हैं, उनमें ईंधन की खपत ज्यादा होती है। ऐसे वाहन धुंआ भी ज्यादा छोड़ते हैं। वाहनों से ज्यादा धुंआ छोड़ने की वजह से वायु प्रदुषण बढ़ता है। पिछले दो वर्षों से पॉल्युशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) जांच नहीं होने की वजह से इस बात की अंदाजा लगा पाना मुश्किल है कि एयर पॉल्युशन फैलाने वाले कितने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में गिनती के लोगों ने कराई फिटनेस जांच
परिवहन विभाग के अफसरों के मुताबिक 15 वर्ष पुराने दुपहिया वाहन चालकों मे से किसी ने फिटनेस टेस्ट कराना जरूरी नहीं समझा। इसके अलावा 15 वर्ष या उससे ज्यादा पुराने 18 कार के मालिकों ने अपने वाहन का फिटनेस टेस्ट कराया है।
कब से लागू होंगे नए नियम
केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार फिटनेस टेस्ट और स्क्रैपिंग सेंटर से जुड़े नियम 1 अक्टूबर 2021 से लागू होंगे। सरकार और पीएसयू से जुड़े 15 वर्ष पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने का नियम अगले साल 1 अप्रैल से लागू होगा। कॉमर्शियल वाहन के लिए फिटनेस टेस्टिंग से जुड़े नियम 1 अप्रैल 2023 से लागू होंगे। अन्य गाड़ियों के जरूरी टेस्टिंग के नियम 1 जून 2024 से लागू किए जाएंगे। इस तरह राज्य की तीन लाख से ज्यादा पुरानी गाड़ियों पर नई गाइडलाइन का तलवार लटक रहा है।
कंडम वाहन से सड़क दुर्घटना
ट्रैफिक डीएसपी सतीश ठाकुर के मुताबिक पुरानी वाहनों की वजह से सड़क दुर्घटना की आशंका 65 से 70 फीसदी तक बढ़ जाती है। इसकी वजह पुराने वाहन के पार्ट्स घिस चुके होते हैं। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं कर पाता, जिसकी वजह से सड़क दुर्घटना होती है।
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