भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि, 20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहे हैं। पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होगा। इस वर्ष 26 सितंबर को श्राद्ध की तिथि नहीं होगी। वहीं 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या पर गज छाया योग भी रहेगा।
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि इस वर्ष 6 अक्टूबर को अश्वनी कृष्ण पक्ष बुधवार को शाम 4:35 तक गज छाया योग रहेगा। जो कोई व्यक्ति गज छाया नामक योग में सर्वपितृ अमावस्या पर नदी, तालाब, कुंड, देवभूमि, पीपल वृक्ष के नीचे श्रद्धाभाव से हाथी की छाया में बैठकर तर्पण, श्राद्ध के साथ पितरों को पिंड दान देते हैं, वह सात पीढ़ी तक पित्रों का उद्धारक बनते हैं। अर्थात अपने पितरों को तृप्त कर स्वर्ग सुख का भागीदार बनाता है।ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि जिन व्यक्तियों की मृत्यु उपरांत बिना अस्थि कर्मकांड एवं धर्म अनुसार अंतिम संस्कार नहीं हुआ, उनकी दिवंगत अतृप्त आत्मा की शांति के लिए तथा परिवार को पितृदोष से बचाने हेतु बालाजी धाम काली माता मंदिर में विशेष आयोजन किया जाएगा।
धर्मार्थ सेवा समिति गरगज कालोनी बहोड़ापुर द्वारा पित्र पक्ष में तर्पण, पिंडदान, त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म, गजेंद्र मोक्ष पाठ, गीता पाठ, पुरुष सूक्त पाठ तथा भागवत का मूल पाठ वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा। जिससे किसी भी प्रकार का मृत्यु दोष परिवार पर ना रहे। महामारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए, आत्महत्या, एक्सीडेंट, शस्त्र घात, जल में डूबने, अग्नि से जलने व अन्य कारणों से अचानक मृत होने वाले लोगों की आत्मा, समस्त गोत्र, समस्त वर्ण का त्रिपिंडी श्राद्ध कर्म किया जाएगा। जनकताल स्थित पौराणिक विशाल पीपल वृक्ष के नीचे तीन घड़ों में गंगाजल भरकर ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के पूजन किए जाएंगे। साथ ही पितृ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वेद पाठ भी होंगे। कर्मकांड के अंत में पितरों के लिए यज्ञ-हवन मे आहुति भी दी जाएंगी। अंत में समस्त दिवंगत अतृप्त आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। आयोजित श्राद्ध कर्म के लिए बालाजी धर्मार्थ सेवा समिति द्वारा जातकों के निशुल्क पंजीयन किए जा रहे हैं।
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