कोरोना काल में डेढ़ साल से बंद स्कूल हुए बदहाल, अब कैसे पढ़ेंगे नौनिहाल

अंजली राय, भोपाल 17 सितम्बर (वेदांत समाचार)। माध्यमिक, हाई, हायर सेकंडरी स्कूल और कॉलेजों में कक्षाएं शुरू होने के बाद अब 20 सितंबर से प्रदेश में प्राथमिक स्कूल भी खुलने जा रहे हैं। कोरोना संकट के चलते बीते डेढ़ साल से बंद इन स्कूलों की संख्या करीब 83 हजार है। इस अवधि में बच्चों के साथ शिक्षक भी स्कूल नहीं गए। लिहाजा पहले से ही तमाम सुविधाओं के लिए जूझ रहे ये स्कूल बदहाली के कगार पर पहुंच गए। हमने राजधानी में कक्षा एक से पांचवीं तक के छोटे-छोटे बच्चों की कक्षाएं शुरू होने से पहले स्कूलों के मौजूदा हालात को मौके पर जाकर देखा। हकीकत यह सामने आई कि शासन कोरोना से बचाव के लिए जिन एहतियातों की बात कर रहा है, स्कूलों में वे एक भी नजर नहीं आईं। अलबत्ता स्कूलों में बदहाली का आलम पसरा है। बारिश का पानी जमा है, कक्षों में झाड़ियां उग आई हैं। फर्श उखड़ गए हैं तो कहीं छत टपक रही है। इन हालात में नौनिहालों को संक्रमण से कैसे सुरक्षित किया जा सकेगा, यह एक बड़ा सवाल है। जब राजधानी के स्कूलों की यह स्थिति है तो ग्रामीण इलाकों के हाल सहज ही समझे जा सकते हैं।

naidunia

परिसर में घुटनों तक भरा है पानीबावड़िया कला स्थित शासकीय उमावि का परिसर तालाब का रूप ले चुका है। स्कूल में पहली से बारहवीं तक में 503 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। गुस्र्वार को स्कूल परिसर में घुटनों तक बारिश का पानी भर गया। शिक्षकों के साथ बच्चे भी अपने कपड़ों को ऊपर उठाकर पानी लांघकर पहुंचे। इस बीच माध्यमिक वर्ग के बच्चों और उनके अभिभावकों को सहमति के लिए बुलाया गया था। पढ़ाई ठप होने के कारण अधिकांश पालकों ने बच्चों को स्कूल भेजने की हामी तो भर दी लेकिन साथ ही सवाल भी खड़े किए कि विभाग को स्कूल खोलने से पहले कम से कम व्यवस्थाएं तो दुरुस्त कर लेनी थीं।

naidunia

कक्षाओं में छत से टपक रहा है पानीदस नंबर स्थित शासकीय नवीन उमावि (ओल्ड कैपिंयन) परिसर में भी बरसात के समय पानी भर जाता है। यहां पर करीब एक हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। परिसर के खेल मैदान में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं, जिन्हें स्कूल प्रबंधन ने अब तक साफ नहीं करवाया है। स्कूल की माध्यमिक कक्षाओं का हाल खराब है। छत पर पानी भरा होने के कारण कक्षाओं की छत से पानी टपक रहा है, जिससे बच्चे कक्षों में बैठ ही नहीं पा रहे हैं।

परिसर में गंदगी का अंबारमीरानगर स्थित शासकीय प्राथमिक शाला का हाल तो और भी बुरा है। स्कूल में नर्सरी से लेकर पांचवीं तक के 177 बच्चे अध्ययनरत हैं। अधिक बारिश होने से परिसर के अंदर पानी और कचरे का ढ़ेर लगा है, क्योंकि स्कूल के पास ही कचरा संग्रहण केंद्र है। ऐसे में स्कूल के आस-पास गंदगी का अंबार लग जाता है। हालांकि स्कूल के प्रधानाध्यापक बच्चों को बुलाने से पहले परिसर की साफ-सफाई में लगे हैं। साथ ही कमरों की कमी के कारण एक ही कक्ष में नर्सरी और पहली की कक्षाएं लगाई जाती हैं।

बरामदे में पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे

पुराना भोपाल स्थित शासकीय हाइस्कूल उबेदिया में भी बारिश के दिनों में पानी भर जाता है। साथ ही स्कूल भवन के कक्षों में जिला निर्वाचन कार्यालय का सामान रखा है। इससे बच्चों की कक्षाएं कमरों में नहीं, बल्कि बरामदे में लगाई जा रही हैं। बच्चों के एक साथ्ा बैठने के कारण्ा कोरोना गाइडलाइन का पालन भी नहीं हो पा रहा है। प्राथ्ामिक की कक्षाओं का अभी कोई ठिकाना ही नहीं है।

शिक्षक ही बदबू से परेशान

पुराने भोपाल स्थित शासकीय हाइस्कूल रफीकिया के भवन के पास कचरे का अंबार लगा हुआ है। यहां पर नगर निगम की कचरे की गाड़ियां खड़ी रहती हैं। स्कूल के अंदर कचरे की बदबू से बच्चे व शिक्षक परेशान रहते हैं। इसके अलावा बारिश के दिनों में कमरों में सिलन और पानी टपकने की शिकायत रहती है।

जिम्‍मेदारों के अजब-गजब तर्क

एक सितंबर से प्राचार्य के पद पर पदस्थ हुआ हूं। बारिश अधिक होने के कारण स्कूल परिसर में पानी भर गया है। इस संबंध में नगर निगम को सूचना दी गई है। बच्चों को आने के लिए मना किया गया है।– डॉ ब्रजेश सक्सेना, प्राचार्य, शासकीय उमावि बावड़िया कलांबारिश के दिनों में माध्यमिक कक्षाओं में छत टपकने से कमरों में पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को दूसरे कक्षों में शिफ्ट किया गया है। अब 20 सितंबर से सभी कक्षाएं खोली जा रही हैं, तो परेशानी बढ़े जाएगी।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]