इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के छात्रों ने साक्षरता सप्ताह के अवसर पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को किया जागरूक

0 ज्ञान को लगातार पाना है तो किताबों को अपना हथियार बनाना होगा-डॉ. संजय गुप्ता

0 साक्षरता बढ़ाइए और उस राष्ट्र को कामयाबी के पथ पर आगे ले जाएँ-डॉ. संजय गुप्ता

0 शिक्षा वह मजबूत सीढ़ी है जो व्यक्ति को सफलता के मार्ग तक पहुँचाती है- डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा 14 अगस्त (वेदांत समाचार)। साक्षरता का तात्पर्य सिर्फ़ पढ़ना.लिखना ही नहीं बल्कि यह सम्मानए अवसर और विकास से जुड़ा विषय है। दुनिया में शिक्षा और ज्ञान बेहतर जीवन जीने के लिए ज़रूरी माध्यम है। आज अनपढ़ता देश की तरक़्क़ी में बहुत बड़ी बाधा है। जिसके अभिशाप से ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है। साक्षरता दिवस का प्रमुख उद्देश्य नव साक्षरों को उत्साहित करना है। अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हमारे लिये अहम दिवस हैए क्योंकि हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत अधिक महत्त्व है। हमारे देश में पुरुषों की अपेक्षा महिला साक्षरता कम है। हमें आज के दिन यह संकल्प लेना होगा कि हर व्यक्ति साक्षर बनेंए निरक्षर कोई न रहे। हमें अपने यहाँ से निरक्षता को भगाना होगा। भारत का शैक्षिक इतिहास अत्यधिक समृद्ध है। प्राचीन काल में ऋषि.मुनियों द्वारा शिक्षा मौखिक रूप में दी जाती थी। शिक्षा का प्रसार वर्णमाला के विकास के पश्चात् भोज पत्र और पेड़ों की छालों पर लिखित रूप में होने लगा। इस कारण भारत में लिखित साहित्य का विकास तथा प्रसार होने लगा। देश में शिक्षा जन साधारण को बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ.साथ उपलब्ध होने लगी। नालन्दाए विक्रमशिला और तक्षशिला जैसी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों की स्थापना ने शिक्षा के प्रचार में अहम भूमिका निभाई। लोगों में व्यावसायिक कौशल विकसित करने के लिए साक्षरता एक बड़ी ज़रूरत है।

    

भारत 100ः साक्षर कैसे बने। भारत में सबसे ज़्यादा विश्वविद्यालय है। हमारे देश में हर साल लगभग 33 लाख विद्यार्थी स्नातक होते हैं। उसके बाद बेरोज़गारों की भीड़ में खो जाते हैं। हम हर साल स्नातक होने वाले विद्यार्थियो का सही उपयोग साक्षरता को बढ़ाने में कर सकते हैं। स्नातक के पाठ्यक्रम में एक अतिरिक्त विषय जोड़ा जाएए जो सभी के लिए अनिवार्य हो। इस विषय में सभी छात्रों को एक व्यक्ति को साक्षर बनाने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी। शिक्षकों के द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाएगा। अन्तिम वर्ष में मूल्यांकन के आधार पर अंकसूची में इसके अंक भी जोड़े जाए। इससे हर साल लगभग 33 लाख लोग साक्षर होंगे। वो भी किसी सरकारी खर्च के बिना।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विश्व साक्षरता दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम हुए आईपीएस कार्यक्रम के शुरूआत विद्यालय की परंपरा के अनुसार आगंतुक अतिथियों का स्वागत तिलक एवं बैच लगाकर किया गया तत्पश्चात माँ सरस्वती के तैल्य चित्र पर दीपक एवं पुष्पांजलि अर्पित किया गया । आगंतुक अतिथियों के सम्मान में विद्यालय की छात्राओं द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया एवं आकर्षक स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी गई ।


दीपका के बच्चों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आसपास के ग्रामीण इलाकों को साक्षरता का महत्व बताया विद्यार्थियों ने नाटक के माध्यम से बताया कि साक्षरता के बिना मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है आज के समय में साक्षरता अति आवश्यक है इसी क्रम में विद्यालय में 1 घंटे का वाचन कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सभी विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा से संबंधित पुस्तकें पढ़ने को कहा गया जहां सभी विद्यार्थी विद्यालय के मैदान में बैठकर 1 घंटे तक पुस्तकें पढ़कर लोगों में पढ़ाई एवं साक्षरता के प्रति जागरूक किया ।
इस साल अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम मानव केंद्रित पुनर्प्राप्ति था जिसका उद्देश्य था कि ऑनलाइन शिक्षा को कम कर मानव केंद्रित करना इस विषय पर विद्यार्थियों ने एक सुंदर नाटक प्रस्तुत कर वैदिक काल से चली आ रही भारतीय शिक्षा पद्धति में अब तक क्या-क्या बदलाव हुए हैं इस विषय पर एक लघु नाटिका प्रस्तुत किया गया जो निश्चित तौर पर मानव केंद्रित शिक्षा श्रेष्ठ शिक्षा रही है यही इस नाटिका का मुख्य उद्देश्य था ।

साक्षरता दिवस के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि एक साक्षर मनुष्य के सोच-विचार सामान्य लोगों के सोच-विचार से अलग होता है। वह सक्रिय रहकर समाज एवं राष्ट्र के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है। आज हम सबको मिलकर साक्षरता को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। आज सरकार भी विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा जागरुकता लाकर जनसमुदाय के मध्य साक्षरता का प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। हमारा भी कर्तव्य बनता है कि यदि हम साक्षर हैं तो अपने आस-पास के असाक्षर लोगों को चिन्हित कर उन्हें साक्षर बनाने में सहयोग करें, क्योंकि यदि हमें सफल और सुनहरे भविष्य को साकार रुप में देखना है तो सर्वत्र साक्षरता का अलख तो जगाना ही पड़ेगा।

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