कटघोरा 13 सितम्बर (वेदांत समाचार) ।कोरबा जिले के कटघोरा वनमण्डल अंतर्गत पसान वन परिक्षेत्र के शिवशंकर तिवारी सहायक परिक्षेत्र,अयोध्या सोनी बीट गार्ड,विरेन्द्र शुक्ला बीट गार्ड के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वनवासियों ने की है।
कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और आदिम जाति कल्याण थाना से की गई शिकायत में आवेदकों की ओर से अवगत कराया गया है कि वे सभी ग्राम सीपत ग्राम पंचायत पिपरिया, तहसील, थाना व पसान वन परिक्षेत्र के मूल निवासी हैं। फूल कुवंर पति राम सिंह गोड़, फूलमति पति स्व.धन सिंह गोड़, शिव प्रसाद पिता स्व. अकबर सिंह गोड़, राम सिंह पिता स्व.धनीराम गोड़, देव सिंह पिता स्व.रामधन गोड़, बाबूलाल पिता स्व. जय सिंह धनवार, सूरज सिंह पिता स्व. गनेश सिंह गोड़, जितेन्द्र सिंह पिता फूलचंद गोड, लालचंद पिता महिलाल गोड़, शंकर सिंह पिता स्व.अकबर सिंह गोड़, सुकलाल पिता हीरा सिंह गोड़ वन भूमि/ राजस्व भूमि पर काबिज हैं।
जिस जगह पर काबिज हैं, उस जगह का नाम खैराठीड़ाड,भाठा, कुंदलगढ़ई है। इस जगह पर खेत बाड़ी एवं कृषि कार्य करते आ रहे हैं जिसे वन विभाग ने वन प्रबंधन समिति एवं ग्राम पंचायत पिपरिया से बहला फुसलाकर (गुमराह कर ) प्रस्ताव लिया गया है। इस तरह कहीं अन्यत्र जगह के लिए वृक्षारोपण का प्रस्ताव लिया गया पर वहां न लगाकर इन आवेदकों के ही कब्जा भूमि पर वृक्षारोपण किया गया है जबकि इस भूमि पर इनके दादा- परदादा ने काबिज होकर खेत बाड़ी बनाया जिसमें वे लोग कृषि कार्य कर रहे हैं। जब फैसिंग तार घेराबंदी शुरू किया गया तब उक्त लोग विरोध करने लगे। सभी कर्मचारी-अधिकारी गाली-गलौच करने लगे कि तुम लोग जहां शिकायत करना है कर सकते हो, हमें किसी प्रकार का डर नहीं है।
यह कि बाबूलाल धनवार का राजस्व भूमि खसरा नंबर 874 रकबा नंबर 0.
890 पर भी वृक्षारोपण एवं तार फैंसिंग किया गया है। इसी जमीन के अंदर और लोगो का काबिज जमीन है जिस पर कृषि कार्य कर रहे है। आरोप है कि उक्त विषय में नामांकित व्यक्तियो ने जातिगत गाली-गलौच कर औकात क्या है जो बार-बार हमारे जंगल जमीन को हमारा है कहकर कब्जा करते हो अगर काबिज वन भूमि को नहीं छोड़े तो तुम सभी लोगों को जेल भेजवा देंगे की धमकी दी जाती है। प्रतिदिन हर दो दिन में शिवशंकर तिवारी सहायक परिक्षेत्र,अयोध्या सोनी बीट गार्ड,विरेन्द्र शुक्ला बीट गार्ड आकर इन लोगों से मुर्गा,दारू और प्रत्येक व्यक्तियों से 10-10 हजार रूपये मांग किये जिससे डर कर पांच-पांच हजार रुपये उनको दिये जा चुके हैं। उसके बाद भी आये दिन गाली- गलौच करते हैं जिससे
आवेदकगण मानसिक व आर्थिक रूप से काफी परेशान रहते हैं।
प्रभावित पीड़ित ग्रामीणों ने अधिकारियों से आग्रह किया है कि सम्पूर्ण जांच कराकर गरीब आदिवासीयों का कब्जा भूमि को जिस पर कृषि कार्य कर रहे थे और जिस पर वृक्षारोपण जबरन किया गया है, उस वृक्षारोपण हटाने के एवज में पांच-पांच हजार रूपये भी ले चुके हैं, इसकी विशेष ध्यान देते हुए न्याय दिलाएं।
[metaslider id="347522"]