गायन प्रतिभा को मिली नई वैश्विक उड़ान, जिलें की बेटी श्रुति बनी वायस ऑफ वर्ल्ड की सेकण्ड रनर-अप

बिलासपुर 11 सितंबर (वेदांत समाचार) बिलासपुर की बेटी श्रुति प्रभला ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ऑनलाइन गीत-गायन प्रतियोगिता में अपनी बेहतरीन गायन शैली से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है. श्रुति ने “वायस ऑफ़ वर्ल्ड के टॉप-3 में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया है. शुक्रवार की रात को अरब प्रायद्वीप के मध्यपूर्व देश कतर के प्रतिष्ठित टीवी चैनेल-5 द्वारा आयोजित गीत गायन प्रतियोगिता “वायस ऑफ वर्ल्ड के ग्रैंड फिनाले में श्रुति को सेकण्ड रनर-अप के अवार्ड से नवाजा गया है। श्रुति इस प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में पहुँचने वाली भारत की इकलौती प्रतिभागी बनी।

शनिवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में श्रुति ने अपने माता-पिता के साथ पत्रकारों से “वायस ऑफ वर्ल्ड” के अनुभव साझा किये. श्रुति ने बताया कि शुक्रवार, 10 सितम्बर को भारतीय समय के अनुसार रात 9.30 बजे से खाड़ी देश कतर की राजधानी दोहा के इंडियन कल्चर सेन्टर के अशोका हॉल में भारतीय दूतावास, इंडियन कल्चर, इंडियन कम्युनिटी बेनेवोलेट फोरम सहित अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के उच्च अधिकारियों और अप्रवासी भारतीयों की उपस्थिति में “वायस ऑफ वर्ल्ड” के ग्रैंड फिनाले का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यू-ट्यूब में भी किया जा रहा था जिसमें उन्हें वायस ऑफ वर्ल्ड” के सेकण्ड रनर-अप के ख़िताब से नवाजा गया.

“वायस ऑफ वर्ल्ड प्रतियोगिता के निर्माता-निर्देशक सैयद रफ़ी के अनुसार करीब तीन माह पहले कतर में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों ने टीवी चैनल-5 के माध्यम से ऑनलाइन सिगिंग कॉम्पिटीशन का आयोजन किया था. वैश्विक स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में अनेक देशों के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑडिशन दिया था. भारत से बिलासपुर की श्रुति प्रभला सहित अनेक उभरते हुए गायकों ने अपनी आवाज़ को एक नई पहचान देने के लिए इसमें हिस्सेदारी की थी, हिन्दी फ़िल्मी गीतों की इस गायन प्रतियोगिता में 10 राउंड के बाद 5 फायनलिस्ट चुने जाने थे. श्रुति ने आर डी बर्मन स्पेशल राज कपूर स्पेशल, लव सांग्स, सैड सांग्स, देशभक्तिपूर्ण गीत, फास्ट नंबर सहित लगभग सभी राउंड में लगातार बढ़त बनाई और फायनल तक पहुँचने में कामयाब रही.

“वायस ऑफ वर्ल्ड” प्रतियोगिता के 10 राउंड के बाद 5 फायनलिस्ट की सूची में भारत की श्रुति के अलावा अमेरिका से दो, जर्मनी से एक और कतर से एक प्रतिभागी शामिल थे. इस अनूठी प्रतियोगिता में पहली बार मतदाताओं (वोटर्स) को वायस ऑफ़ वर्ल्ड का विनर चुनने की प्रक्रिया से सीधे जोड़ते हुए देश-विदेश में बसे हिंदी गीत-संगीत प्रेमियों से अपने चहेते गायक के पक्ष में ऑनलाइन वोट करने अपील की गई
थी जिसके नतीजे 10 सितम्बर को घोषित किये गए और श्रुति को सेकण्ड रनर-अप अवार्ड से नवाजा गया.

बिलासपुर के निकट सीपत, एनटीपीसी में रहने वाली श्रुति वर्तमान में शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने के लिए कोलकाता स्थित संगीत रिसर्च अकादमी के गुरु उस्ताद वसीम अहमद खान साहब की शिष्या है गुरु-शिष्य परंपरा के तहत श्रुति अपने गुरु खा साहब से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सौख रही है इसके अतिरिक्त श्रुति बिलासपुर में भातखंडे संगीत महाविद्यालय (इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से संबद्ध) में बीपीए (बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट) के डिग्री कोर्स की तृतीय वर्ष की छात्रा है श्रुति के पिता पी. रामा राव बिलासपुर में इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सर्विलांस सोल्यूशन का कार्य करते हैं जबकि उनकी माता श्रीमती श्रीलेखा एनटीपीसी, सीपत के स्कूल में शिक्षिका हैं श्रुति को बचपन से ही संगीत के प्रति अत्यधिक लगाव रहा है उसने अपनी दादी पी. राजेश्वरी से संगीत की प्रारंभिक शिक्षा और प्रेरणा ली और महज 5 वर्ष की उम्र में बाल रंग सम्मान प्राप्त किया गायन के प्रति श्रुति की अगाध रुचि को देखते हुए उसके माता-पिता ने उसे लगातार प्रोत्साहित किया श्रुति छत्तीसगढ़ आंध्र एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय गायन स्पर्धा में लगातार तीन वर्षों तक तेलुगू और हिंदी गीत गायन में पहले स्थान पर रही करीब तीन वर्ष पूर्व देश भर में नवोदित कलाकारों को तलाश करने और उनकी प्रतिभा को निखारने-संवारने के लिए स्पिक मैके ने एक आयोजन किया था. राष्ट्रीय स्तर की इस स्कॉलरशिप प्रतियोगिता में श्रुति का चयन टॉप-10 में हुआ था. श्रुति ने कोलकाता की आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में लब्ध प्रतिष्ठित संगीत गुरुओं के सानिध्य में एक महीने तक गुरु-शिष्य परम्परा के तहत भारतीय शास्त्रीय संगीत का वृहद् अध्ययन किया श्रुति ने एनटीपीसी, सीपत के आधिकारिक गीत में भी अपनी आवाज दी है.

पांच से अधिक भाषाओं की जानकार और करीब एक दर्जन भारतीय भाषाओं के गीत गायन में पारंगत श्रुति का स्पष्ट मानना है कि हिन्दुस्तानी संगीत हो अथवा कर्णाटक संगीत, लोक संगीत हो या फिल्मी संगीत, ये सब शास्त्रीयता के दायरे में एक साधना है और जीवन जीने का तरीका भी.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]