हम अब केवल बोलकर बातें नहीं करते, रोजाना काफी बातें मैसेज या चैट में लिखकर भी होती हैं. और ऐसी बातचीत में भावनाओं को खुलकर जाहिर करने के लिए इमोजी सबसे बड़ा सहारा होती है. इंस्टाग्राम, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया पर भी हम अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए जमकर इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर प्रभावशाली होती है, वैसे ही एक इमोजी उस बात को आसानी से जाहिर कर देती है, जिसके लिए हमें सैकड़ों अक्षर टाइप करने पड़ते. हर तरह के इमोजी आपके चैट बॉक्स में मिल जाते हैं. मगर इतनी सारी इमोजी को आपके फोन तक पहुंचाने का काम कौन रहा है.
दुनिया के हर एक व्यक्ति के चैटिंग बॉक्स में इमोजी को पहुंचाने के लिए एक महिला अपना दिमाग खपा रही है. उस महिला का नाम है जेनिफर डेनियल. वर्तमान में जेनिफर ‘इमोजी सबकमेटी फॉर द यूनिकोड कंसोर्टियम’ की प्रमुख हैं. यही संस्था सभी के चैट बॉक्स में इमोजी डिजाइन करने का काम करती है. जेनिफर डेनियल एक अमेरिकी डिजाइनर और आर्ट डायरेक्टर हैं.
3000 से अधिक इमोजी
जेनिफर जेंडर इक्वालिटी की पक्की समर्थक मानी जाती हैं. इसका असर उनके द्वारा डिजाइन इमोजी पर भी दिखता है. मिस्टर क्लॉज, मिसेज क्लॉज और मक्स क्लॉज वाली इमोजी के पीछे उन्हीं का दिमाग है. आज 3000 से अधिक इमोजी उपलब्ध हैं.
ऐसे सेंटा इमोजी के पीछे क्या है वजह
इमोजी में आपको तीन तरह के सैंटा मिलेंगे. एक मेल (मिस्टर क्लॉज), एक फीमेल (मिसेज क्लॉज) और एक ऐसा सैंटा जिसे स्पष्ट तौर पर महिला या पुरुष दोनों नहीं समझा जा सकता यानि मक्स क्लॉज. ये उनके लिए है, जो अपनी लैंगिक पहचान नहीं बताना चाहते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि सभी जेंडर लोगों को चैटिंग की-बोर्ड में जगह दी जा सके.
इमोजी पर क्या कहती हैं जेनिफर
हाल ही में इकॉनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में जेनिफर ने इमोजी के जरूरत पर कहा था- ‘मेरी समझ कहती है कि हम 80 फीसदी समय बिना कुछ बोले खुद को व्यक्त करते हैं. हालांकि, जब हम बोलते हैं, इसके कई तरीके होते हैं. हम चैटिंग के दौरान बातचीत करते हुए एक तरह से थोड़े अनौपचारिक होते है.
ऐसे में अपनी बात कहने के लिए हम इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे हम अपनी बात आसानी से कह पाते हैं और टाइपिंग के लिए अंगुलियों को तकलीफ देने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
[metaslider id="347522"]