कोरबा 10 सितम्बर (वेदांत समाचार) /प्रदेश में मछली पालकों को भी फिश प्रोडक्शन का बोनस मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य शासन की नई मछली पालन नीति बनाने के लिए गठित समिति ने मछुआरों को उत्पादकता बोनस देने की अनुशंसा कर दी है। उत्पादकता बोनस प्रदेश के जलाशयों को पट्टे पर देने से होने वाली आय का 40 प्रतिशत होगा और यह उस जल क्षेत्र में मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को मिलेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा दे दिया है।
इससे अब मछुआरों को मछली पालन के लिए सहकारी समितियों से ऋण और अन्य सुविधाएं मिलना शुरू हो गई है। नई मछली पालन नीति में प्रदेश के 20 हेक्टेयर जल क्षेत्र वाले एनीकटों को मछली पालन के लिए पट्टे पर नहीं देने का भी प्रस्ताव किया गया है। ऐसे सभी एनीकट स्थानीय मछुआरों को मत्स्याखेट के लिए निःशुल्क उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही जलाशयों को मत्स्य पालन के लिए पट्टे पर देने में मछुआ जाति के लोगों की सहकारी समितियों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
आदिम जाति मछुआ सहकारी समितियों में 30 प्रतिशत सदस्य और समिति के उपाध्यक्ष का पद मछुआ वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित होंगे ताकि वे मछली पालन और विपणन का काम कुशलता पूर्वक कर सकें। कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे की अध्यक्षता में नई मछली पालन नीति बनाने के लिए गठित की गई राज्य स्तरीय समिति की बैठक पिछले दिनों रायपुर में हुई जिसमें मछली पालन को बढ़ावा देने और मछली पालकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए कई जरूरी प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। समिति के प्रस्तावों का परीक्षण कर राज्य मंत्री परिषद की अनुशंसा पर नई मछली पालन नीति तैयार की जाएगी। मछली पालन नीति के नए प्रावधानों के मंजूर हो जाने पर कोरबा जिले के आठ हजार से अधिक मछली पालकों को इसका लाभ मिलेगा।
नई मछली पालन नीति में समिति ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा अपने क्षेत्राधिकार के तालाबों व जलाशयों को अब छह माह के स्थान पर तीन माह के भीतर आबंटन की कार्रवाई किए जाने का प्रस्ताव किया है। इस अवधि के बाद पंचायत की अनुशंसा के बिना नियमानुसार पट्टा आबंटन का अधिकार कलेक्टर को होगा।
राज्य में मछली बीज की गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रमाणीकरण हेतु मत्स्य बीज प्रमाणीकरण अधिनियम बनाया जाएगा, जो मत्स्य बीज उत्पादन हेतु निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करेगा। निजी क्षेत्र में अधिक से अधिक हेचरी एवं संवर्धन प्रक्षेत्रों के निर्माण को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य में उपलब्ध 50 हेक्टेयर से अधिक जलक्षेत्र के जलाशय जिन्हें दीर्घावधि के लिए पट्टे पर दिया गया है, उन जलाशयों में केज कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन के लिए केज स्थापित करने हेतु अधिकतम दो हेक्टेयर जलक्षेत्र पट्टे पर दिया जाना प्रस्तावित किया गया है।
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