Coal India के मेड‍िकली अनफ‍िट वर्करों के बच्‍चों को अब नहीं म‍िलेगी नौकरी? जान‍िए कोयला मंत्री की मंशा

फरवरी 2018 से भारत के तत्कालीन कोयला मंत्री ने वर्ष 1979 से चले आ रहे मेडिकल अनफिट कामगारों के बच्चे की नौकरी के प्रावधान को इंटरनल आदेश के द्वारा रोक दिया है। तत्कालीन कोयला मंत्री ने इस संबंध में संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों से भी राय नहीं ली,

फरवरी 2018 से भारत के तत्कालीन कोयला मंत्री ने वर्ष 1979 से चले आ रहे मेडिकल अनफिट कामगारों के बच्चे की नौकरी के प्रावधान को इंटरनल आदेश के द्वारा रोक दिया है। तत्कालीन कोयला मंत्री ने इस संबंध में संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों से भी राय नहीं ली और ना तो नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट के सम्मानित प्रतिनिधियों को इस फैसले मे शामिल किया ।

एक तरफा फैसला लागू करने का निर्देश जारी किया और इसकी सूचना वेज बोर्ड में बैठने वाले सम्मानित मजदूर नेताओं को मौखिक रूप से और लिखित रूप से दे दी। अब यह मामला को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।

राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के उपाध्यक्ष श ए के झा ने उठाया है।

कहा कि मजदूर प्रतिनिधि क्यों चुप रहे? यह बात आज तक समझ में ना आई और ना तो कोयला मजदूरों के सामने उन्होने अपनी स्थिति को संवाद के द्वारा स्पष्ट करने का कोई ईमानदार प्रयास किया ।

आज के तारीख में 5000 से अधिक मेडिकली अनफिट कामगार अपने बच्चे की नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है। न्याय पाने का गुहार लगा रहा है।

जेबीसीसीआई में बीएमएस प्रमुखता से उठाए मामला

जेबीसीसीआई के सदस्यों के पास, कोल इंडिया के चेयरमैन के पास, विभिन्न कंपनियों के सीएमडी को लगातार नम्रता पूर्वक अपना आवेदन कर रहा है । लेकिन इसकी सुनवाई नहीं हो रही है। इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को रोकने के लिए हमारे भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि जो सत्ता के करीब हैं, जिनका संपर्क सत्ताधारी लोगों से है, मजबूत श्रमिक संगठन है। जेबीसीसीआई का नेतृत्व कर रहे थे उनको इस सवाल पर मजबूती से सरकार पर दबाव डालना चाहिए था। अपना पक्ष रखते हुए पिछले 42 वर्ष के प्राप्त सुविधा को बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए था।

फेडरेशन में उठेगा मामला

झा ने कहा राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन की ओर से फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस सवाल पर माननीय कोयला मंत्री , कानून मंत्री, श्रम मंत्री, कोयला सचिव, माननीय कोल इंडिया चेयरमैन से लगातार बात की है।

पत्र लिखा है और उनसे आग्रह किया है कि वह अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और दसवे वेज बोर्ड में जो भी प्रभावित मजदूर हैं उनके बच्चे को नियोजित कराने के लिए तुरंत कार्रवाई करें ताकि भुखमरी से जूझ रहे श्रमिक परिवार को न्याय मिल सके।

झा ने कहा कि इस संबंध में फेडरेशन के अध्यक्ष व वर्तमान श्रम मंत्री को फिर पत्र लिखा है। कोयला के संसदीय सलाहकार समिति के सभी सम्मानित सांसदों से विशेष रूप से आग्रह किया है कि माननीय कोयला मंत्री से बात करें और कोयला मजदूर परिवार को पिछले 42 वर्ष से मेडिकल अनफिट के प्राप्त नियोजन के अधिकार को पूर्ववत बहाल किया जाए। ।

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