न पेट्रोल न बिजली, अब ग्रीन हाइड्रोजन से फर्राटा भरेंगी कार, हुंडई ने तैयार किया ये खास प्लान

हुंडई मोटर ग्रुप ने एक बड़ा ऐलान किया है. यह ऐलान हाइड्रोजन फ्यूल सेल को लेकर है. हुंडई मोटर ग्रुप अपनी गाड़ियों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लॉन्च करने वाला है. साल 2028 से हुंडई की गाड़ियां हाइड्रोजन फ्यूल सेल वर्जन में आएंगी. शुरू में कॉमर्शियल व्हीकल में ही यह वर्जन आएगा. हाइड्रोजन फ्यूल सेल वर्जन की गाड़ियां आने से पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहनों की कीमतें गिरेंगी.

हुंडई मोटर ग्रुप में हुंडई मोटर कंपनी और किया कॉरपोरेशन शामिल हैं. यह मोटर ग्रुप अभी एक-एक फ्यूल सेल बस और फ्यूल सेल ट्रक बनाता है. मार्केट में ये प्रोडक्ट एक्सियंट हुंडई के नाम से बेचे जाते हैं. इस ग्रुप की 115 बसें दक्षिण कोरिया की सड़कों पर दौड़ रही हैं. इस कंपनी के फ्यूल सेल ट्रक यूरोपीय देश स्विट्जरलैंड में पिछले साल लॉन्च किए गए थे और मौजूदा समय में 45 ऐसे ट्रक चलाए जा रहे हैं.

कंपनी की ये है तैयारी

हुंडई मोटर और किया दक्षिण कोरिया के ऑटोमेकर्स हैं जो साझेदारी में गाड़ियां बनाते हैं. ये दोनों कंपनियां कॉमर्शियल गाड़ियों के 20 मॉडल बनाती हैं जिनमें ट्रक, बस और वैन शामिल हैं. पिछले साल इन दोनों कंपनियों ने 287,000 गाड़ियां बेची थीं. इस ग्रुप की केवल एक फ्लूल सेल गाड़ी अभी मार्केट में है जिसका नाम हुंडई नेक्सो एसयूवी है. हुंडई मोटर ग्रुप ने कहा है कि वह किया की गाड़ियों के लिए भी फ्यूल सेल डेवलप करेगा. किया के प्रीमियम जेनेसिस ब्रांड के लिए भी फ्यूल सेल बनाए जाएंगे.

ग्रीन हाइड्रोजन पर ज्यादा ध्यान

प्रीमियम जेनेसिस ब्रांड में फ्यूल सेल 2025 के बाद लॉन्च हो सकते हैं. अभी इसकी तैयारी चल रही है. हुंडई मोटर ने अभी यह नहीं बताया है कि फ्यूल सेल वर्जन में पैसेंजर व्हीकल मॉडल की गाड़ियां कब लॉन्च होंगी. हुंडई की योजना ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल को एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने की है. माना जा रहा है कि अगला जमाना इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्लूल गाड़ियों का ही है. जिस तेजी से कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है. आने वाले समय को देखते हुए ऑटोमेकर्स फ्यूल सेल और इलेक्ट्रिक व्हीकल की तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं.

फ्यूल सेल का फायदा

हाइड्रोजन फ्यूल सेल से कार्बन को घटाने में मदद मिलेगी क्योंकि इससे कोई प्रदूषण नहीं होता. फ्यूल सेल पानी और ऊर्जा रिलीज करता है जिसमें धुएं जैसी कोई समस्या नहीं होती. हालांकि यह टेक्नोलॉजी बहुत सीमित है और बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. ऑटो इंडस्ट्री में फ्यूल सेल का उपयोग बढ़ा है लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है. ऑटो इंडस्ट्री में फ्यूल सेल को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए बड़ा फ्यूल सेल सिस्टम बनाना होगा. अभी फ्यूलिंग स्टेशन की भी कमी है जिसे धीरे-धीरे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की गई है.

अभी पूरी दुनिया में देखें तो हर साल तकरीबन 10,000-15,000 फ्यूल सेल गाड़ियां बनाई जा रही हैं, जबकि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या 40 से 50 लाख के आसपास है. हुंडई के अलावा टोयोटा मोटर, बीएमडब्ल्यू और डेमलर भी फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं. इन कंपनियों को यूरोप और चीन से बहुत उम्मीदें हैं क्योंकि इन देशों ने आने वाले समय में कार्बन की मात्रा कम करने का ऐलान किया है जिसके लिए फ्यूल सेल और इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया जाएगा.

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