नेशनल डेस्क । देश में फर्जी वैक्सीन कैम्प के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फर्जी टीकों के कारोबार का खुलासा हुआ है। हाल ही में दक्षिणपूर्वी एशिया और अफ्रीका में नकली कोविशील्ड पाई गई थी। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फर्जी टीकों को लेकर सचेत किया था। अब केंद्र सरकार ने राज्यों को ऐसे मानक बताएं हैं, जिनके आधार पर पता लगाया जा सकता है कि वैक्सीन असली है या नकली। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सभी राज्यों को पत्र लिखा है। इसमें कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक-वी टीकों से जुड़ी जानकारी दी है। ताकि पता लगाया जाए कि ये टीके नकली तो नहीं हैं। फिलहाल देश में इन्हीं तीन टीकों से टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि इन टीकों से कुछ साइड इफैक्ट भी दिखे हैं, जाे मामूली हैं। वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार अिभयान चला रहा है कि वैक्सीन जरूर लगवाएं।
कोविशील्ड
– सीरम इंस्टीट्यूट का प्रोडक्ट लेबल, लेबल का रंग गहरा हरा।
– ब्रांड का नाम ट्रेड मार्क के साथ (COVISHIELD)।
– जेनेरिक नाम का टेक्स्ट फॉन्ट बोल्ड अक्षरों में नहीं होगा।
– इसके ऊपर बिक्री के लिए नहीं छपा हाेगा।
कोवैक्सीन
– लेबल पर अदृश्य यूवी हेलिक्स, जिसे सिर्फ यूवी लाइट में ही देखा जा सकता है।
– लेबल क्लेम डॉट्स के बीच छोटे अक्षरों में COVAXIN लिखा है।
– कोवैक्सिन में ‘X’ दो रंगों में, इसे ग्रीन फॉयल इफेक्ट कहा जाता है।
स्पूतनिक-वी
-चूंकि स्पूतनिक-वी वैक्सीन रूस के दो अलग संयंत्राें से आयात की गई है, इसलिए इन दोनों के लेबल भी कुछ अलग-अलग हैं। हालांकि, सभी जानकारी और डिजाइन एक सा ही है। निर्माता का नाम अलग है।
-अभी तक जितनी भी वैक्सीन आयात की गई हैं, उनमें से सिर्फ पांच एमपूल के पैकेट पर ही अंग्रेजी में लेबल लिखा है। इसके अलावा बाकी पैकेटों में यह रूसी में लिखा है।
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