राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने सोमवार को यहां पास स्थित आईएनएस हंस पर एक रस्मी परेड में भारतीय नेवल एविएशन (Indian Naval Aviation) को ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ प्रदान किया. इस अवसर पर नौसेना ने राष्ट्रपति को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया. गोवा के तीन दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह की मौजूदगी में नेवल एविएशन को ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ प्रदान किया.
पणजी से करीब 40 किमी दूर वास्को में स्थित आईएनएस हंस नौसैन्य अड्डे पर हुए इस कार्यक्रम में गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत तथा अन्य मौजूद थे. राष्ट्र की अद्वितीय सेवा के लिये किसी भी सैन्य इकाई को प्रदान किया जाने वाला ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ सर्वोच्च सम्मान होता है. नौसेना के प्रवक्ता ने एक विज्ञप्ति में बताया कि भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय नौसेना को सबसे पहले यह सम्मान मिला था, जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 27 मई, 1951 को उसे ध्वज प्रदान किया था.
आईएनएस गरुड़ का उद्घाटन किया गया था
उसके बाद ‘राष्ट्रपति का ध्वज’ नौसेना के दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, पूर्वी बेड़े, पश्चिमी बेड़े, पनडुब्बी इकाई, आईएनएस शिवाजी और भारतीय नौसेना अकादमी को भी प्राप्त हुआ. उन्होंने बताया कि भारतीय नेवल एविएशन उस समय अस्तित्व में आया, जब 13 जनवरी, 1951 को पहला सी-लैंड हवाई जहाज खरीदा गया तथा 11 मई, 1953 को पहला नौसेना हवाई स्टेशन आईएनएस गरुड़ का उद्घाटन किया गया था.
250 से अधिक युद्धक विमान हैं
आज, भारतीय नेवल एविएशन के पास नौ हवाई स्टेशन और तीन नौसेना वायु क्षेत्र हैं. ये सभी भारत की तटरेखा और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में स्थित हैं. पिछले सात दशकों के दौरान, नेवल एविएशन आधुनिक, प्रौद्योगिकी आधार पर उन्नत और अत्यंत सक्षम बल के रूप में विकसित हो चुका है. इस समय उसके पास 250 से अधिक युद्धक विमान हैं, जिनमें विमान वाहक पोतों पर तैनात लड़ाकू जहाज, समुद्र में टोह लेने वाले हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर और दूर से यंत्र द्वारा चलाये जाने वाले हवाई जहाज शामिल हैं.
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