0 राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण : मुख्यमंत्री श्री बघेल,
0 शिक्षक दिवस के अवसर पर राजभवन में शिक्षकों को किया गया सम्मानित,
जांजगीर-चांपा, 05 सितम्बर (वेदांत समाचार) शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके के मुख्य आतिथ्य में राजभवन के दरबार हॉल में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने की। समारोह में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव श्री द्वारिकाधीश यादव उपस्थित थे।
राज्यपाल ने पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन किया और कहा कि शिक्षक दीपक की तरह होते हैं, जो अज्ञान के अंधकार में ज्ञान का प्रकाश लाते हैं। उनका देश और प्रदेश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। शिक्षकों के मार्गदर्शन से विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्रों में सफलताएं अर्जित कर राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक जो मार्गदर्शन देते हैं उसे सकारात्मक रूप से ग्रहण करने पर अवश्य सफलता मिलती है।
सुश्री उइके ने कहा कि आज मैं, मुख्यमंत्री जी, शिक्षा मंत्री जी या अन्य राजनेता जिस जगह पर पहुंचे हैं, वहां पर हमारे गुरूजनों का ही योगदान रहा है। शिक्षकों के अनुशासन की सीख की बदौलत हम आज यहां तक पहुंचे हैं। राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम विद्यालय प्रारंभ करने जैसे कई कार्य हुए हैं, वह सराहनीय है। इस कार्य से विकासखंड स्तर तक ग्रामीणों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की सुविधा मिल रही है। इसके लिए मैं मुख्यमंत्री सहित पूरे शिक्षा विभाग को बधाई देती हूं। राज्यपाल ने कोरोना काल में शिक्षा विभाग द्वारा किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति का एक सूत्र वाक्य है ’असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योर्तिगमय, मृत्योर्मामृतं गमय’, जिसका अभिप्राय है ’हे ईश्वर हमें असत्य से सत्य की ओर, अंधेरे से उजाले और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले चलो।’ असत्य से सत्य की ओर तथा अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने की प्रक्रिया में गुरूजनों की भूमिका अहम होती है। ’आचार्यः देवो भव’ और ‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े’ जैसे दोहे हमारी समृद्ध परम्पराओं में शिक्षक की महत्ता को दर्शाते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं, उनकी मौलिकता, कल्पनाशीलता, देश के लिए अनमोल संपदा है और उनके जीवन को गढ़ने का महत्वपूर्ण दायित्व शिक्षकों पर है। शिक्षकों को विद्यार्थियों से मित्र एवं मार्गदर्शक की तरह व्यवहार करना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि ‘हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शांति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य, अपने पैरों पर खड़ा हो सके।’
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने शिक्षक दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी और कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है। वे महान शिक्षक थे जब वे राष्ट्रपति बने तो कुछ विद्यार्थियों ने उनका जन्मदिवस मनाने का प्रस्ताव रखा। तब उन्होंने कहा कि मेरे जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। उन्होंने कहा कि चाहे खेल के क्षेत्र में या शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा गुरूओं की आवश्यकता पड़ती है। शिक्षकों का राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। कोरोना महामारी के समय इसकी महत्ता और भी बढ़ गई। शिक्षा विभाग ने कोरोना महामारी के समय ऑनलाइन शिक्षा पद्धति प्रणाली बुलटू के बोल, मोहल्ला क्लास जैसे माध्यमों से शिक्षा प्रदान की, जिसकी पूरे देश और विदेश में चर्चा हुई।
श्री बघेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में सन् 1998 में पंचायत विभाग द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी उसके बाद से अब तक नियमित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई थी। पर हमने उनकी तकलीफ को समझते हुए नियमित रूप से शिक्षकों की भर्ती की और नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ कर दी है। हमने उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी विद्यालय की स्थापना की। इसमें गरीब और मध्यमवर्ग के पालकगण अपने बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिला रहे है। यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। किसी भी विद्यार्थी का आदर्श उसका शिक्षक होता है। वे जिस प्रकार का आचार-व्यवहार करते है विद्यार्थी उनका अनुसरण करते है। इसलिए अच्छे विद्यार्थी बनाने के लिए श्रेष्ठ शिक्षकों की आवश्यकता होती है। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में दिवंगत हुए शिक्षकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि हमारे शिक्षकों ने कोरोना काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विद्यार्थियोंको नए-नए तरीकों से पढ़ाया।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि कोरोना काल में प्रदेश में शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को शिक्षा देने के लिए कई नवाचार किए गए, जिसमें पढ़ई तुंहर द्वार, मोहल्ला क्लास आदि शामिल है। प्रशासन के इन प्रयासों की नीति आयोग सहित पूरे देश में सराहना की गई। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में भी इन नवाचारों का उल्लेख किया।
कार्यक्रम में वर्ष 2020 में चयनित 58 शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिसमें 54 शिक्षकों को राज्य शिक्षक सम्मान और 04 शिक्षकों को प्रदेश के महान साहित्यकारों के नाम पर स्मृति पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर वर्ष 2021 के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए चयनित शिक्षकों के नामों की घोषणा की गई। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में राज्यपाल के सचिव श्री अमृत कुमार खलखो, विधि सलाहकार श्री आर.के. अग्रवाल, सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. कमलप्रीत सिंह उपस्थित थे। समारोह में जे.आर. दानी स्कूल की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और राज्य गीत की प्रस्तुति दी।
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