किस्सा एक गुरूजी का, रिटायरमेंट के 21 सालों तक करते रहे शिक्षा दान, निधन के बाद भी बच्चों के मन मस्तिष्क में है उनकी छाप


0 रिटायरमेंट के बाद भी नियमित रूप से प्रतिदिन 2से 3 घंटे पढ़ात थे बच्चों को,85 साल की उम्र में साल नवंबर 2020 में हुआ निधन
समीर पाण्डेय,जांजगीर-चांपा /
आज शिक्षक दिवस है और पूरा देश सर्वपल्ली डॉक्टर राधा कृष्णन का जन्म दिन मना रहा है ऐसे में जांजगीर-चांपा जिले के एक दिवंगत रिटायर्ड शिक्षक का जीवन चरित्र, शिक्षा के प्रति लगाव और उनका योगदान याद आर हा है। हम बात कर रहे हैं बम्हनीडीह ब्लाक के ग्राम पंचायत पचोरी निवासी गुरूजी के नाम से विख्यात स्व पं. गोरेलाल पांडेय के विषय में जो कि वर्ष 2000 में शिक्षक पद से रिटायर हुए मगर उन्होंने कभी यह अहसास होने नहीं दिया कि वे रिटायर हुए हैं।

60 साल के उम्र में रिटायर होने के बाद वे लगातार 21 सालों तक बच्चों को निरूशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे। शिक्षक स्व. गोरेलाल के शिक्षा के प्रति कूट-कूट कर भरी लगन को देखकर हर आदमी उनका प्रशंसक बन जाता था। सुबह उठकर वे केवल शिक्षा के प्रति छात्र-छात्राओं को लगन की सीख देते हैं। उनके पढ़ाने की पद्धति को देखकर छात्र-छात्राएं भी आकर्षित होते और दर्जनों छात्र सुबह शाम उनकी क्लास में अध्ययन करने हर रोज पहुंचते थे। गुरूजी पंडित स्व गोरेलाल पांडेय के द्वारा रिटायरमेंट के बाद पढ़ाए बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल सहित कई जगहों पर हुआ था साथ उनके नियमित शिक्षक रहते पढ़ाए गये छात्र आज अच्छे पदों पर आसीन हैं। उन्होंने कई ऐसे गरीब बच्चे जो भारी भरकम फीस के चलते अच्छे स्कूलों में तालीम नहीं ले पाते, उन्हें आर्थिक मदद भी की थी। वे अपने पेंशन से मिली राशि से गरीब बच्चों की फीस की भरपाई भी करते थें। छात्र आज भी शिक्षक स्व गोरेलाल पाण्डेय की तारीफ करते नही थकते हैं।


गुरूजी स्व पं. गोरेलाल पांडेय पर शिक्षा के प्रति ऐसा जुनून सवार था कि वे रिटायर होने के बाद भी 21 सालों तक गांव में शिक्षा के प्रति अलख जगाते रहे। गुरूजी की मानसिक चेतना 83 साल की उम्र तक बेहतरीन रही वे न केवल वे नियमित सुबह शाम दो-दो घंटे क्लास लेते हैं, बल्कि गरीब बच्चों को निरूशुल्क शिक्षा दिलाने कोई कसर नहीं छोड़ते थे। इतना ही नहीं वे स्वस्थ रहने तक ग्राम भारती शिशु मंदिर में नियमित निरूशुल्क शिक्षा भी प्रदान करते रहे। शिक्षा के प्रति उनकी लगन को क्षेत्र के लोग मुक्तकंठ से सराहना करने पीछे नहीं हटते हैं।

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