रायपुर। छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी दफ्तरों में आज ताले लटके रहे. एक भी अधिकारी-कर्मचारी काम पर नहीं गया. प्रदेश भर में अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले विरोध प्रदर्शन किया गया. यहां तक की राजधानी स्थित सभी विभागों का संचालनालय यानी इंद्रावती भवन भी बंद है. केंद्र के समान राज्य में भी महंगाई भत्ता समेत 14 सूत्रीय मांगों को लेकर कार्यालय बंद कर इंद्रावती भवन के सामने हड़ताल की गई.
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष कमल वर्मा ने कहा कि शासकीय सेवकों की लंबित मांगों से संबंधित 14 सूत्रीय मांग है. जिसे लेकर आज प्रदेश स्तरीय सभी सरकारी कार्यालय बंद रखा गया है. अपनी मांगों को लेकर कलम बंद मशाल उठाकर हड़ताल की जा रही है.
केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़कर 17 से 28 प्रतिशत हो गया है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य के शासकीय सेवकों और पेंशनरों को 1 जनवरी 2019 से मात्र 12 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है. राज्य के कर्मचारी केन्द्रीय कर्मचारियों से 16 प्रतिशत पीछे हो गए है. इस कारण प्रतिमाह के वेतन में 4-5 हजार रुपए आर्थिक क्षति हो रही है.
विभागीय पदोन्नति-समयमान वेतनमान स्वीकृति, अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण, पुराना पेंशन योजना बहाली, आकस्मिक-कार्यभारित चतुर्थ वर्ग कर्मचारियों का नियमितीकरण, पटवारियों की पदोन्नति और कार्यालयीन उपयोग के लिए लैपटॉप देने. छग राज्य में पेंशन प्रोसेसिंग सेल की स्थापना और अन्य मांगों के समर्थन में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन चार चरणों में आंदोलन कर चुका है, लेकिन शासन द्वारा शासकीय सेवक कल्याण के महत्वपूर्ण विषयों के समाधान के लिए सकारात्मक नीति नहीं बनाई गई.
इंद्रावती कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि अचानक आज हमने सामूहिक अवकाश नहीं लिया है. चरणबद्ध तरीक़े से अधिकारी कर्मचारी फैडरेशन के बैनर तले अपनी मांगों को लेकर आवाज़ बुलंद करते रहे हैं. प्रदेशभर के एक-एक जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया. प्रदेश के मुखिया, सभी मंत्री, प्रमुख सचिव को ज्ञापन सौंपा गया. उसके बाद चरणबद्ध तरीक़े से विरोध प्रदर्शन किया गया. जल समाधि ली गई. मशाल रैली निकाली गई थी. कलम रख मशाल उठा आंदोलन के तहत आज प्रदेशभर में सामूहिक अवकाश लेकर कार्यालय बंद रखा गया है. अगर हमारी मांग नहीं मानी गई, तो आगे प्रदेश भर के कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे.
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