गूगल किस आधार पर ये पता लगाता है कि कहां पहुंचने में कितना टाइम लगेगा?

Google Map Travel Time: जब भी आप कहीं जाते हैं तो रास्ते के लिए या टाइम पता करने के लिए गूगल का सहारा लेते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर गूगल को कैसे पता चलता है कि कहां जाने में कितना टाइम लगेगा…

अब इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है, यहां तक कि अब तो रास्ता पता करने के लिए भी लोग गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं. पहले लंबे रूट के लिए नक्शे का और गली-मोहल्ले वहां सड़क पर जा रहे लोगों से रास्ता पता किया जाता था, लेकिन अब गूगल मैप में लॉकेशन डाली और आपको रास्ता, ट्रैफिक, वहां जाने में कितना टाइम लगेगा आदि सबकुछ पता चल जाता है. शायद आप भी अब रास्ता ढूंढने के लिए गूगल का ही इस्तेमाल करते होंगे.

आपने गूगल का इस्तेमाल भले ही काफी कर लिया हो, लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर ये गूगल मैप काम कैसे करता है और इस गूगल मैप को कहीं जाने का टाइम कैसे पता लग जाता है. ऐसे में आज आपको बता रहे हैं कि आखिर गूगल मैप को कैसे पता चलता है कि किस जगह पर जाने में कितना टाइम लगेगा और रास्ते में जाम मिलेगा या नहीं.

कैसे पता चलता है कहां है ट्रैफिक जाम?

बता दें किसी रास्ते में जाम लगा हुआ है यहा वहां ट्रैफिक स्लो चल रहा है ये जानकारी देने के लिए गूगल मैप रास्ते में चल रही गाड़ियों में मौजूद यूजर के फोन की लोकेशन ट्रैक कर उसका एनालिसिस करता है और उसके हिसाब से ही वहां के ट्रैफिक की स्थिति को दिखाता है. ये गाड़ी की स्पीड और स्मार्टफोन की संख्या के आधार पर डाटा शो करते हैं.

पिछले साल एक शख्स ने बर्लिन में एक टोकरी में 99 फोन रखकर एक रोड़ का चक्कर लगाया है, जो एक दम खाली थी. लेकिन, मोबाइल डेटा के हिसाब से वहां 99 लोग थे तो गूगल इस रोड पर उस वक्त ट्रेफिक दिखा रहा था, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं था. इससे समझा जा सकता है कि ज्यादा फोन और उनको लोकेशन ऑन होने की वजह से पता चलता है कि कहां कितना ट्रैफिक है.

ऐसे लगता है अंदाजा?

इसके साथ ही उस रूट की ट्रेफिक हिस्ट्री भी देखता है. वह देखता है कि आपने जो रूट सलेक्ट किया है, वहां हमेशा ट्रैफिक कैसा रहता है. इसमें छोटे छोटे डेटा कलेक्शन पॉइंट के आधार पर पता किया जाता है कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में कितना समय लगेगा. इसके बाद वह देखता है कि वहां जाम आदि तो नहीं है और उसके बाद इन सभी को जांचने के बाद बताया जाता है कि वहां जाने में कितना टाइम लगेगा. यह एक संभावित टाइम ही होता है और उसमें बदलाव भी हो सकता है.

बता दें कि गूगल अन्य लोगों के डेटा के हिसाब से ईटीए निकालता है, जिसे एस्टीमेटेड टाइम ऑफ अरवाइल भी कहा जाता है. यानी यह एक संभावित टाइम ही होता है, जो दूरी, ट्रैफिक की स्थिति और रूट के आधार पर पता करता है. इसके अलावा उस इलाके या रोड की स्पीड लिमिट आदि का डेटा भी इसमें मिलाया जाता है और फिर एक संभावित टाइम निकलता है. इसलिए ही देखा गया है कि किसी हाइवे या बड़ी रोड़ पर यह डेटा ज्यादा एक्युरेट आता है.

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