नई दिल्ली । सदियों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए इस साल कोलकाता की चार महिला पुजारी दुर्गा पूजा करने वाली हैं। लगभग 10 साल पहले, नंदिनी, रूमा, सीमांती और पॉलोमी ने ‘शुभमस्तु’ नाम के संगठन का गठन किया, उनका यह संगठन विभिन्न सामाजिक और धार्मिक आयोजन करता रहा है। लेकिन यह पहली है जब वे लोग पुजारी के रूप में दुर्गा पूजा की रस्में निभाने वाली हैं।कोलकाता में 66 पल्ली दुर्गा पूजा समिति के लिए ये महिलाएं सभी अनुष्ठानों में भाग लेंगी। लंबे समय से इन महिलाओं के विचार कई लोगों को आकर्षित करते रहे हैं। चारों महिलाओं ने बताया कि कैसे उन्होंने कैसे समाज के बनाए हुए स्टीरियोटाइप को तोड़ा है।
नंदिनी बताती हैं, “हमने कभी नहीं सोचा था कि रूढ़िवादिता को तोड़ना हमारा मुख्य लक्ष्य है। जब हमने शुरुआत की तो यह हमारे दिमाग में भी नहीं था। रूमा और मैं संस्कृत के प्रोफेसर हैं और हमने महसूस किया कि जब युवा पीढ़ी को इन अनुष्ठानों के बारे में बताते हैं तो वे इसमें रुचि लेती है। इन्हें समझने की कोशिश करते हैं।” नंदिनी की बेटी की शादी संगठन द्वारा आयोजित पहली सामाजिक शादी थी।सीमांती बचपन से ही शांतिनिकेतन में तैयार की गई गायिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। पॉलोमी एक शिक्षिका, गायिका हैं और उन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। हाल में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिसमें महिलाओं को दुर्गा पूजा समारोहों की अध्यक्षता करते देखा गया हो। ये महिला पुजारी काफी लोकप्रिय हैं और आम तौर पर सरस्वती पूजा, या यहां तक कि शादियों जैसे छोटे समारोह आयोजित करती हैं।
संगठन का दावा है कि आम पुजारी समूहों के विपरीत, उनके पास कोई नेतृत्व या प्रधान पुजारी नहीं है। उनका उद्देश्य लोगों को इस बारे में शिक्षित करना है कि सदियों पुरानी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए अनुष्ठान कैसे करें और अन्य महिलाओं को बाहर आने और उन क्षेत्रों में काम करने में सहायता करें जहां उन्हें काम करने नहीं दिया जाता है।
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