पंचामृत (Panchamrit) एक पवित्र ड्रिंक है जिसे दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बनाया जाता है. आमतौर पर मंदिरों में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. पंचामृत पहले देवताओं को चढ़ाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में लोगों में बांटा जाता है. महाभारत के अनुसार, पंचामृत समुद्र मंथन के दौरान उभरे तत्वों में से एक था.
पंचामृत शब्द दो शब्दों को मिलाकर बना है. पंच जिसका अर्थ पांच है और अमृत का मतलब अमरता प्राप्त करने वाला जल. इसलिए इसे पंचामृत कहा जाता है क्योंकि इसे देवताओं को जल कहा जाता है. पंचामृत का इस्तेमाल अभिषेक के दैरान किया जाता है. इस पवित्र जल के मिश्रण का इस्तेमाल देवताओं की मूर्तियों को स्नान कराने के लिए किया जाता है.
पंचामृत का महत्व
पंचामृत में उपयोग होने वाली पांचों चीजों का अपना महत्व है. दूध शुद्ध और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है. घी शक्ति और जीत के लिए है. शहद मधुमक्खियां पैदा करती है इसलिए ये समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है. चीनी मिठास और आंनद के बारे में हैं जबकि दही समृद्धि का प्रतीक है. हर साल जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. कृष्ण जी को दूध, घी, दही, मखन आदि चीजें चढ़ाई जाती है. इस खास मौके पर पंचामृत से बेहतर क्या हो सकता है.
कैसे बनाते है पंचामृत?
सामग्री – एक कप दूध, आधा कप दही, एक चम्मच शहद , एक चम्मच घी और एक चम्मच शुगर
बनाने की विधि – आपको एक बर्तन में दूध और दही को चम्मच से अच्छे से मिला लेना है. इसके बाद शहद, घी, चीनी मिलाएं. इस ऊपर से तुलसी के पत्ते डालें.
सेहत के लिए है फायदेमंद
पंचामृत इम्युनिटी को मजबूत करने में मदद करता है. इस ड्रिंक को पीने से त्वचा की रंगत में निखारा आता है और बाल भी अच्छे होते है.
ये हमारी शरीर के सप्त धातुओं के लिए फायदेमंद होता है. पंचामृत में तुलसी के पत्ते होते हैं जो बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है.
आयुर्वेद के अनुसार इसका सेवन करने से पित्त दोष को संतुलित रखने में मदद मिलती है. इसमें मौजूद सभी चीजें औषधीय गुणों से भरपूर है. पित्त दोष का अर्थ है पेट से होने वाली समस्याएं.
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