टोक्यो। टोक्यो पैरालिंपिक में भाविनाबेन पटेल ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने टेबल टेनिस के विमेंस सिंगल्स में क्लास-4 कैटेगरी में भारत को पहला मेडल दिलाया है। फाइनल में भाविना का मुकाबला वर्ल्ड नंबर-1 चीनी खिलाड़ी झोउ यिंग से था। यिंग ने भाविना को 11-7, 11-5 और 11-6 से हरा कर गोल्ड जीता। भाविना को सिल्वर मिला। वह टेबल टेनिस में मेडल जीतने वाली भारतीय खिलाड़ी भी हैं।
इससे पहले भाविना ने सेमीफाइनल में चीन की झांग मियाओ को 7-11, 11-7, 11-4,9-11,11-8 से हराया था। भाविना क्वार्टर फाइनल मुकाबले में सर्बिया की बोरिस्लावा रैंकोविच पेरिच को लगातार तीन गेम में 11-5, 11-6, 11-7 से हरा कर सेमीफाइनल में पहुंची थीं।
भाविनाबेन पटेल ने प्री क्वार्टर फाइनल में ब्राजील की जॉयज डि ओलिवियरा को 12-10, 13-11, 11-6 से मात दी थी। वे पैरालिंपिक में टेबल टेनिस का मेडल पक्का करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं।
एक साल की थीं, तभी लकवा हुआ
टोक्यो पैरालिंपिक्स में देश के लिए पहला मेडल जीतने वाली देश की पहली पैरा खिलाड़ी भाविनाबेन पटेल जब एक साल की उम्र की थीं, तो चलने की कोशिश में गिर गईं, उस समय उनके एक पैर में लकवा हो गया, बाद में उनका दूसरा पैर भी लकवे से बेकार हो गया। बाद में कम्प्यूटर सीखने के दौरान उन्हें टेबल टेनिस खेलने का मौका मिला।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने बधाई दी
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाविनाबेन पटेल को मेडल जीतने पर बधाई दी है। उन्होंने कहा कि भाविनाबेन पटेल ने इतिहास रच दिया है। उनकी जीवन यात्रा प्रेरित करने वाली है। युवा उनसे प्रेरणा लेकर खेल के लिए आकर्षित होंगे।
खेल दिवस पर मेडल मिलने से खुश
भारतीय पैरालिंपिक समिति की अध्यक्ष दीपा मलिक ने कहा- भाविना पटेल ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है और वो भी राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन। मेरे लिए इससे बड़ी खुशी की बात क्या होगी कि एक महिला खिलाड़ी ने मेडल का खाता खोला है और वह महिला खिलाड़ी भी ऐसी, जो व्हील चेयर का इस्तेमाल करती है।
पिता बोले- आने पर हम उनका भव्य स्वागत करेंगे
बेटी की जीत पर पिता हसमुखभाई पटेल ने बताया, “उसने देश का नाम रोशन किया। वह गोल्ड मेडल नहीं लेकर आईं, लेकिन हम सिल्वर मेडल से भी खुश हैं। वापस आने पर हम उसका भव्य स्वागत करेंगे।
क्या होती है क्लास-4 कैटेगरी?
क्लास-4 कैटेगरी के एथलीट का बैठने का संतुलन बरकरार रहता है और उसके दोनों हाथ ठीक होते हैं। उनकी दिव्यांगता लोअर स्पाइन की समस्या के कारण हो सकती है या वे सेरिब्रल पाल्सी का शिकार होते हैं। पैरा टेबल टेनिस के क्लास 1 से 5 तक के एथलीट व्हीलचेयर पर खेलते हैं। क्लास 6 से 10 तक के एथलीट खड़े होकर खेल सकते हैं।
वहीं, क्लास-11 के एथलीटों में मानसिक समस्या होती है। व्हील चेयर स्टैंडिंग पॉजिशन में क्लास की संख्या जितनी कम होती है उनकी शारीरिक क्षमता उतनी ज्यादा प्रभावित होती है। यानी क्लास-1 के एथलीट की शारीरिक क्षमता सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
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