0 श्रीमती भगवती ने किया तीन करोड़ रूपए से अधिक की राशि का लेनदेन
कोरबा 28 अगस्त (वेदांत समाचार)। विकासखण्ड पाली के गांव बड़ेबांका, नानबांका, मदनपुर, चैतमा एवं कुटेलामुड़ा के ग्रामीणों को पेंशन, मजदूरी के भुगतान के लिए बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। बैंक सखी श्रीमती भगवती धु्रव के कारण अब ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं घर-पहुंच मिल रही है। इन पांच गांवों के लोगों को मनरेगा भुगतान, पेंशन भुगतान, प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि आसानी से गांव में मिल जा रहा है। गांव के दिव्यांग और वृद्धजनों को पेंशन लेने के लिए बैंक जाने से राहत मिल गई है। बैंक सखी भगवती पांच गांवो के 255 खातों का संचालन कर हितग्राहियों को घर पहुंच राशि का भुगतान कर रही हैं। भगवती दो साल से भी कम समय में तीन करोड़ 11 लाख 49 हजार 807 रूपए का लेनदेन कर चुकी है। राशि लेनदेन के लिए बैंक सखी भगवती को कमीशन भी प्राप्त हुआ है।
श्रीमती भगवती अब तक 50 हजार रूपए बैंक कमीशन के माध्यम से प्राप्त कर चुकी हैं। गांव में घर पहुंच बैंकिग सेवाओं के मिल जाने से जहां एक ओर ग्रामीण खुश हैं, वहीं दूसरी ओर बैंक कमीशन के माध्यम से होने वाली आवक ने भगवती को आत्मनिर्भर बना दिया है। भगवती अपने घरेलू और सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ अपने बैंकिंग के कार्यों को समय पर पूरा करते हुए गांव के लोगों को राहत पहुंचा रहीं हैं। बैंक सखी भगवती ग्रामीणों को वृद्धावस्था पेंशन, निराश्रित पेंशन, गोधन न्याय योजना का पैसा एवं मनरेगा मजदूरी जैसे भुगतान हितग्राहियों को उनके खातों के माध्यम से आधार आधारित पेमेंट कर रही है। भगवती यह प्रक्रिया बायो मेट्रिक डिवाइस की सहायता से संचालित कर रही है।
विकासखण्ड पाली के ग्राम पंचायत मदनपुर की रहने वाली भगवती धु्रव बीए सेकेण्ड ईयर की पढ़ाई की है। बैंक सखी बनने से पहले भगवती गृहणी थी। दो बच्चों की मां भगवती बैंकिंग कार्यों के लिए फील्ड में अपने पति के साथ जाती हैं। भगवती का पति गांव के बाजारों में दुकान लगाते हैं। भगवती ने बताया कि गांव में रोजगार मूलक गतिविधियों में जुड़ने और आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से लक्ष्य स्वसहायता समूह में जुड़ी। समूह में जुड़कर बैंक सखी का काम शुरू किया। भगवती के बैंक सखी बन जाने से ग्रामीणों को आसानी से बैंकिंग सुविधा का लाभ मिल रहा है। ग्रामीणों को खाता खुलवाने के लिए कहीं दूर जाना नहीं पड़ता है। भगवती के माध्यम से गांव में ही खाता खुल जाता है। गांव में बैंकिंग सेवा उपलब्ध होने से लोगों के समय और धन की बचत भी हो रही है। बैंक सखी के माध्यम से सरकार के विभिन्न शासकीय योजनाओं के सफल संचालन में सहयोग मिल रहा है।
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