संस्कृति की पहचान संस्कृत से, संस्कृत भाषा के संरक्षण का संकल्प लें – विवेक शर्मा

‘‘इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में मनाया गया विश्व संस्कृत दिवस‘‘

‘‘इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में देवभाषा संस्कृत दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

संस्कृत दिवस प्राचीन भारतीय भाषा को जागरूकता फैलाने, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मनाया जाता है-विवेक शर्मा, थाना प्रभारी कोतवाली, कोरबा

संस्कृत को और लोकप्रिय बनाने की दिशा में योगदान देने का सभी से आग्रह-डाॅ. संजय गुप्ता

संस्कृत दिवस – संस्कृते संस्कृतिस्तथा संस्कृते सकलाकला। संस्कृते सकला ज्ञानं वन्दे संस्कृत मातरम्।।

अस्माकं संस्कृति संस्कृतम् आश्रिता – डॉ. संजय गुप्ता

‘’जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि‘‘ -डॉ. संजय गुप्ता

कोरबा 27 अगस्त (वेदांत समाचार) संस्कृत दिवस संस्कृत भाषा के महत्व को मनाने के लिए मनाया जाता है। संस्कृत समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। यह हिंदू धर्म की पवित्र भाषा है जिसका उपयोग बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के दार्शनिक प्रवचनों के लिए भी किया जाता था। संस्कृत दिवस पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। संस्कृत दिवस मनाने का विचार अद्वितीय है क्योंकि यह भाषा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। हालाँकि इसका महत्व अभूतपूर्व थाए क्योंकि यह सभी भारतीय भाषाओं की जननी है। यह प्राचीन भाषाओं में सबसे पहली भाषा है जिसकी विशेषता भारत में पाई जाती है। संस्कृत दिवस मनाने का मुख्य विचार लोगों में संस्कृत के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। आम आदमी और युवाओं को संस्कृत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा से अवगत कराना। यह वह भाषा है जो लोगों को मूल वेदों के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों को मूल देवनागरी या संस्कृत भाषा में पढ़ने का मौका दे सकती है जिसमें यह लिखा गया है। संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है देवों द्वारा बोली जाने वाली भाषा।

संस्कृत का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है सम का अर्थ है संपूर्ण और कृत का अर्थ है किया हुआ यह दोनों शब्द मिलकर संस्कृत शब्द की उतपत्ति करते हैं। सबसे पहले भारत में वेदों की रचना 1000 से 500 ईसा पूर्व की अवधि में हुई। वैदिक संस्कृति में ऋग्वेद, पुराणों और उपनिषदों का बहुत महत्व है। वेद अलग-अलग चार खंडों में विभाजित है, जिसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद शामिल है। इसी तरह कई कई पुराण, महापुराण और उपनिषद है। संस्कृत बहुत प्राचीन और व्यापक है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि भारतीय धर्म संस्कृति ने संस्कृत को देव भाषा का दर्जा दिया गया है, बावजूद इसके यह भाषा अब अपना वजूद खोती जा रही है। अब भारत में भी विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण संस्कृत को पढ़ने वाले, लिखने वाले और समझने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसलिए भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत की महत्ता और आवश्यकता को याद दिलाने और जनमानस में इसका महत्व बढ़ाने के लिए संस्कृत दिवस एवं संस्कृत सप्ताह मनाया जाता है। जिस दिन को विश्व स्तर पर मनाया जाता है उसका महत्व भी होता है । संस्कृत दिवस प्राचीन भारतीय भाषा को जागरूकता फैलाने, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन अनिवार्य रूप से सीखने और इसे जानने के महत्व की बात करता है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहली है। संस्कृत सबसे अधिक कंप्यूटर के अनुकूल भाषा है।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विश्व संस्कृत दिवस मनाया गया जिसमें कार्यक्रम का प्रारंभ स्वागत गीत एवं माँ सरस्वती के तैल्य-चित्र में माल्यार्पण तथा दीप-प्रज्ज्वलित कर किया गया । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री विवेक शर्मा(टी.आई., कोतवाली, कोरबा) उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन संस्कृत शिक्षक श्री अरूण प्रधान ने किया । कार्यक्रम की पहली कड़ी में कक्षा-नवमीं की छात्राओं के द्वारा मनमोहक समूह नृत्य की प्रस्तुति दी गई तत्पश्चात कक्षा 7 वीं की छात्रा ग्रीतिका वत्स के द्वारा संस्कृत में प्रभावी व प्रेरक भाषण प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम में सरदार भगत सिंह के जीवन पर आधारित नाटिका तथा आदिकवि वाल्मिकी के जीवन पर आधारित आकर्षक नाटिका का मंचन किया गया जिसकी सराहना सभी ने की । संस्कृत शिक्षक अरूण प्रधान ने संस्कृत भाषा में उद्बोधन किए । कार्यक्रम में तबला वादन की प्रस्तुति दी । इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के छात्र-छात्राओं ने कर्णप्रिय संस्कृत गीत की भी प्रस्तुति दी । कार्यक्रम में संस्कृत क्वीज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को चार समूह में बाँटा गया था, कालिदास, व्यास वाल्मिकी एवं श्री हर्ष । प्रतियोगिता में व्यास ग्रुप विजयी रहा । इस प्रतियोगिता में तमन्ना, सानिया, इप्शिता, वंदना प्रतिभागी रहे । कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित श्री अरूण प्रधान ने किया । कार्यक्रम में विद्यालय के सभी कर्मचारी का विशेष सहयोग रहा ।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री विवेक शर्मा, थाना प्रभारी, कोतवाली, कोरबा रहे । श्री विवेक शर्मा ने बच्चों को संस्कृत भाषा के महत्व को बताया कि संस्कृत भाषा भारत की प्राचीन भाषा है, संस्कृत में संस्कृति है, संस्कृत पढ़ने से उत्तम चरित्र निर्माण होता है । जन्मभूमि स्वर्ग से भी ऊंचा है, अपना मातृभूमि का रक्षा करना सभी का कर्तव्य है । संस्कृत में श्लोक है परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे ।। अर्थात् सज्जन पुरूषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए हर एक इंसान को प्रयत्न करना चाहिए । संस्कृत दिवस प्राचीन भारतीय भाषा को जागरूकता फैलाने, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन अनिवार्य रूप से सीखने और इसे जानने के महत्व की बात करता है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और भारत में बोली जाने वाली प्राचीन भाषाओं में पहली है। संस्कृत सबसे अधिक कंप्यूटर के अनुकूल भाषा है।

इस अवसर पर इंडस पब्लिक के प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने कहा कि संस्कृत दिवस मनाने का मुख्य विचार लोगों में संस्कृत के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। आम आदमी और युवाओं को संस्कृत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपरा से अवगत कराना। यह वह भाषा है जो लोगों को मूल वेदों के साथ-साथ कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों को मूल देवनागरी या संस्कृत भाषा में पढ़ने का मौका दे सकती है जिसमें यह लिखा गया है। संस्कृत को देवभाषा भी कहा जाता है जिसका अर्थ है देवों द्वारा बोली जाने वाली भाषा। यह सबसे पुरानी इंडो.यूरोपीय भाषाओं में से एक है। संस्कृत के वर्तमान स्वरूप का पता दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से लगाया जा सकता है। संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे बढ़ावा देने के लिए हर साल श्रवण मास की पूर्णिमा तिथि को संस्कृत दिवस मनाया जाता है। संस्कृत भाषा को देव वाणी अर्थात भगवान की भाषा भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा का पता दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में लगाया जाता है जब ऋग्वेद में भजनों का एक संग्रह लिखा गया माना जाता है। इस भाषा की एक संगठित व्याकरणिक संरचना है। यहां तक कि स्वर और व्यंजन भी वैज्ञानिक पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक व्यक्ति केवल एक शब्द में संस्कृत में स्वयं को व्यक्त कर सकता है। कर्नाटक में एक ऐसा गांव है जहां हर कोई संस्कृत में बात करता है। गांव का नाम शिमोगा जिले के मत्तूर है। संस्कृत को उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया है। शास्त्रीय संगीत में, जो कर्नाटक और हिंदुस्तानी में है संस्कृत का प्रयोग किया जाता है।

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