भगवान गणेश को व्यापक रूप से ज्ञान और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. संकष्टी का मतलब कठिनाइयों से मुक्ति होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश भक्तों की समस्याओं को कम करते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं.
भगवान गणेश को व्यापक रूप से ज्ञान और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. संकष्टी का मतलब कठिनाइयों से मुक्ति होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश भक्तों की समस्याओं को कम करते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, हर महीने संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है.
इस बार ये 25 अगस्त बुधवार को पड़ रही है. इस दिन, भक्त सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद लेने के लिए भगवान गणेश की पूजा करते हैं. साथ ही, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का नाम सभी देवताओं से श्रेष्ठ रखा था.
संकष्टी चतुर्थी 2021 : तिथि और समय
गोधुली पूजा मुहूर्त 18:37-19:03
चतुर्थी 25 अगस्त को 16:18 बजे शुरू होगी
चतुर्थी 26 अगस्त को 17:13 बजे समाप्त होगी
ब्रह्म मुहूर्त 04:37 प्रात:-05:11 प्रात:
अमृत काल 15:48-17:28
सूर्योदय 05:56
सूर्यास्त 18:50
संकष्टी चतुर्थी 2021 : महत्व
संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकट हारा या बाधाओं और प्रतिकूल समय से मुक्ति है. भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी को सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है. जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, इस दिन भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को सभी देवताओं में श्रेष्ठ घोषित किया था. भगवान गणेश की पूजा किसी भी अनुष्ठान की शुरुआत, या एक नए उद्यम की शुरुआत से पहले की जाती है. उन्हें ज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और लोकप्रिय रूप से विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) के रूप में जाना जाता है.
संकष्टी चतुर्थी 2021 : पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें.
दिन भर का उपवास रखें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. दिन में किसी भी रूप में चावल, गेहूं और दाल का सेवन करने से बचें.
शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें.
पूरी पूजा विधि का पालन करते हुए गणेश मंत्रों का जाप करें.
मोदक और लड्डू चढ़ाएं जो भगवान गणेश को सबसे ज्यादा पसंद हैं.
चांदनी से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है.
चंद्रोदय के बाद व्रत तोड़ें. चंद्रमा का दिखना बहुत ही शुभ होता है. इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो अर्घ्य दें.
लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को तुलसी पसंद नहीं थी, इसलिए उनकी पूजा करते समय कभी भी इसके पत्ते न चढ़ाएं.
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