छत्तीसगढ़ का पांरपरिक त्योहार भोजली, आज धूमधाम से मनाया जा रहा है. मित्रता के उत्सव में मनाए जाने वाले इस लोक पर्व के मौके पर सुबह से ही बच्चियां माथे पर भोजली दूब लेकर गाजे-बाजे के साथ उसका विसर्जन करने पास के नदी-तालाब पर जाती हैं. मुंगेली जिले में आज भोजली दूब ले जाती इन बच्चियों की तस्वीरें कई जगह दिखीं.
भोजली का तिहार सिर्फ मित्रता का ही उत्सव नहीं है, बल्कि नई फसल की कामना के लिए गांवों में यह त्योहार मनाया जाता है. महिलाएं एक-दूसरे को इस मौके पर भोजली का दूब भेंट करती हैं. तालाब किनारे भोजली के दूब भेंट करने की ये तस्वीरें आपके दिल को छू लेंगी.
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं एक-दूसरे को भोजली का दूब भेंट कर जीवन भर मित्रता का धर्म निभाने का संकल्प लेती हैं. इस दौरान ‘जहां देवी गंगा देवी गंगा लहर तुरंगा लहर तुरंगा, हमर भोजली दाई के भींगे आठों अंगा’ गीत गाती हुईं महिलाएं अपने साथियों को भोजली दूब भेंट करती हैं.
भोजली तिहार के मौके पर बच्चियां और युवतियां अपने माथे पर सजी हुई टोकरियों के साथ गांव के तालाब या नदी किनारे जाती हैं, जहां पर्व से जुड़ी बाकी प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं. सभी पारंपरिक रस्मों के साथ तालाब में भोजली दूब का विसर्जन किया जाता है.
इस मौके पर गांव के पुरुष भी भोजली तिहार का उत्सव मनाते हैं. घर के आगे ढोल लेकर नाचते-गाते पुरुष त्योहार के उत्साह को और बढ़ा देते हैं.
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