राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. राजस्थान के राज्यपाल रहते हुए कल्याण सिंह ने वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए कई अहम फैसले किए. 4 सिंतबर 2014 को कल्याण सिंह ने राजस्थान में राज्यपाल का पद संभाला तो पहले दिन उन्होंने पत्रकार वार्ता करके अंग्रेजों के समय से चलती आ रही पंरपरा को बंद करने का ऐलान कर दिया.
उन्होंने राज्यपाल के आगे लगने वाला महामहिम शब्द हटवाकर इसकी जगह माननीय शब्द करवा दिया. राज्यपाल को जयपुर से बाहर जाने पर दिया जाने वाला गार्ड ऑफ ऑनर भी उन्होंने बंद करवा दिया. इतना ही नहीं, विश्वविद्यालयों में 26 साल बाद दीक्षांत समारोह की हर वर्ष करवाने की शुरुआत भी उन्होंने की. इसके लिए उनकी शर्त ये थी कि दीक्षांत समरोह में सब की डिग्रियां आवश्यक रूप से तैयार हो जाएं.
विवि द्वारा लिए गोद गांव को देखने अवश्य जाते
राज्यपाल रहते हुए कल्याण सिंह ने हर विश्वविद्यालय को एक गांव गोद लेकर, उसके विकास का जिम्मा दिया. इतना ही नहीं दीक्षांत समारोह में जाने पर विवि द्वारा गोद लिए गांव को देखने खुद जाते थे. गोद लिए गांव के कामों की खुद मॉनिटरिंग करते थे. उन्होंने विश्वघालय के दीक्षांत समारोह में गाउन पहनना बंद करवाकर, उसकी जगह परम्परागत भारतीय पोशाक पहनना शुरू करवा दिया.
जनता से सीधा जुडाव, अपना खाना खुद बनाते
उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह ने राज्यपाल रहते हुए भी कभी आम जनता से मिलना बंद नहीं किया. मिलने वालों के लिए कभी उन्होंने राजभवन के दरवाजे बंद नहीं किए. राज्यपाल बनने के बाद भी यूपी से कई लोग उन से मिलने आते थे लेकिन उन्होंने कभी अपने लोग से मुलाकात के मामले में किसी को निराश नहीं किया. कोई पीड़ित आता तो उनसे वो मिलते थे. वो राजस्थान के पहले ऐसे राज्यपाल थे जो खुद का खाना खुद बनाते थे. और पद पर रहते हुए उनकी थाली में केवल चटनी, रोटी के साथ छाछ का एक गिलास होता था. ये उनकी सादगी का एहसास कराता था.
कल्याण सिंह को पिछली चार जुलाई को संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य समस्याएं होने पर लखनऊ के एसजीपीजीआई के गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) में भर्ती कराया गया था. उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और शनिवार रात उनका निधन हो गया.
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