फसल को कीटों से सुरक्षित रखने के लिए करते हैं रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल तो इस तरह करें अपना बचाव

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एसके सिंह बताते हैं कि किसान सावधानी बरत कर अपनी फसल और अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं. इसके लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय अगर किसी अंग पर दवा पड़ गई है तो उसे अच्छी तरह साबुन से धो लें.

किसान अपनी फसलों को कीटों से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं को छिड़काव करते हैं. फसल पर तो दवाओं का असर पड़ता ही है, लेकिन इसके इस्तेमाल से किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. कई बार उनकी जान तक चली जाती है. सैकड़ों किसानों की आंखों की रोशनी चली गई है तो किसानों में कई तरह की अन्य समस्याएं भी देखने को मिल रही हैं. ऐसे में इन रासायनिक दवाओं से किसान को अपने आप को सुरक्षित रखना जरूरी है.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एसके सिंह बताते हैं कि किसान सावधानी बरत कर अपनी फसल और अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं. इसके लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव करते समय अगर किसी अंग पर दवा पड़ गई है तो उसे अच्छी तरह साबुन से धो लें.

इन बातों का रखें ध्यान

-अगर कीटनाशी दवा खा लिया हो तो उस हालत में रोगी को उल्टी करावें. उल्टी कराने के लिए एक ग्लास पानी में दो चम्मच खाने वाला नमक मिला कर रोगी को पिला दें.

-अगर रोगी सादा पानी या दूध पी सके तो उसे पीने के लिए दें.
-सांस लेने मे अगर कठिनाई हो तो कृत्रिम श्वास देना चाहिए.
-अगर रोगी के ऊपर नाक के माध्यम से गए कीटनाशी दवा का प्रभाव हो गया हो तो उसे इस हालत मे सर्व प्रथम शुद्ध हवा में रखें. घर का खिड़की-दरवाजा आदि खोल दें तथा रोगी को कम्बल से ढक दें. हर परिस्थिति में रोगी को अल्कोहलिक पदार्थ यानी शराब से परहेज रखने के लिए कहें और शीघ्र उचित इलाज हेतु डाक्टर से परामर्श करें.

इन दवाओं के खतरनाक असर से बचाव के तरीके डॉक्टर एसके सिंह बताते हैं…

-दवाओं को खरीदने से पहले उसके टीन या डब्बों की सील को अच्छी तरह से देख लें कि दवा कहीं बाहर तो नही निकल रही है और अगर सील टूटी हो अथवा दवा बाहर निकल रही हो तो उसे न खरीदें.
-कीटनाशक दवाओं की बोतल, डिब्बों या लिफाफों पर उनके इस्तेमाल के आवश्यक निर्देश लिखे होते हैं. निर्देशों का अक्षरशः पालन करना चाहिए.
-दवा के टिन या डब्बों को खोलने के लिए घर में फल या सब्जी काटने वाले चाकू आदि का प्रयोग कदापि न करें और न ही डब्बे को खुले हाथ से खोलने की चेष्टा करें.
-दवा जिस बर्तन में हो, उसी बर्तन मे रहने देना चाहिए क्योंकि इससे यह सुविधा होगी कि इस्तेमाल करते समय दी गई हिदायतों को पढ़ा जा सकता है.
-उचित मात्रा में दवा लेकर घोल बनाना या भुरकाव यंत्र में भरना चाहिए और यह ध्यान रखना परमावश्यक है.
-खेत मे दवा प्रयोग करते समय किसी भी तरह की खाद्य सामग्री न खाएं.
-बीड़ी, सिगरेट अथवा पान वगैरह से भी परहेज करें.
-दवाओं के प्रयोग के समय हर हालत मे नाक पर कपड़ा बांध लेना चाहिए ताकि दवा का असर सांस नली से शरीर के अन्दर न जा सके.
-दवाओं के प्रयेाग के समय आंख पर चश्मा लगा लेना चाहिए ताकि आंख में दवा न जा सके.
-दवाओं के प्रयोग के बाद हाथ पैर एवं मुंह अच्छी तरह से साबुन से धो लें और सम्भव हो तो कपड़े भी बदल लें. छोड़े हुए कपड़े तुरन्त धुलने के लिए दे दें.
-दवा छिड़काव या भुरकाव का कार्य प्रातः अथवा शांयकाल में ही करें और दवा का छिड़काव या भुरकाव उस समय न करें जब हवा तेज चल रही हो. इसके अतिरिक्त हवा के विपरीत दिशा मे भी छिड़काव या भुरकाव न करें.
-दवा छिड़कने या भुरकने के बाद यंत्र को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें, जिससे की उसका सारा पानी निकल जाए.
-बची हुई दवाओं को बच्चों और अपने परिवार के सदस्यों से दूर रखें.
-प्रयोग के बाद अगर डब्बे में दवा बच गई हो तो उसे अच्छी तरह से बन्द करके ताले के अन्दर रखना चाहिए या फिर ऐसी जगह रखें जहां बच्चे या जानवर आदि न पहुंच सकें.
-अगर दवा समाप्त हो गई हो तो टिन या डब्बे को तोड़कर या नष्ट करके जमीन के अन्दर गाड़ दें.
-अगर हाथ, पाव या शरीर के ऐसे अंग जो कि कपड़े से ढ़के न हों और वे कटे हों या उनमें घाव हो तो उस व्यक्ति को चाहिए कि दवा का छिड़काव या भुरकाव न करे.

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