राज्यसभा में महिला सांसदों से दुर्व्यवहार केंद्र सरकार की बौद्धिक दिवालियापन को दिखता है : मोहन मरकाम

रायपुर । राज्यसभा में छत्तीसगढ़ की दो महिला सांसदों के साथ पुरूष मार्शलों द्वारा किया गया दुर्व्यवहार केंद्र सरकार की मानसिकता और बौद्धिक दिवालिये पन को दिखाता है। जिस देश में `नार्यस्तु पूजयन्ति तत्र रमंते देवता` की परंपरा रही हो, जहां महिलाओं के सम्मान करने पर देवताओं के प्रसन्न होने के संस्कार हो वहां देश की सबसे बड़ी पंचायत में दो महिला सांसदों के साथ दुर्व्यवहार सर्वथा अस्वीकार्य और अक्षम्य है।


राज्यसभा संसद का उच्च सदन है ऐसा माना जाता है। राज्यसभा विमर्श और आचरण का जो उच्च आदर्श प्रस्तुत करता है। वह देश के लोगों को गौरवान्वित करता है। देश के जनसामान्य के लिए नजीर होती है। केंद्र सरकार ने इसी राज्य सभा में महिला सांसदों के साथ जो बदतमीजी करवाई उससे भारत का गौरवशाली लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली दोनों कलंकित हुई।
इस दुर्भाग्यजनक घटना के बाद जिस प्रकार से भाजपा का नेतृत्व और उनके नेता पीड़ित महिला सांसदों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे वह अनुचित निंदनीय और भाजपा के नारी विरोधी चरित्र को बताते है। महिला सांसदों से दुर्व्यवहार करने के तुरंत बाद कि 10 सेकंड की क्लिप को जारी कर भाजपाई न अपने कुकर्म पर पर्दा डाल सकते और न ही दोषियों को बचा सकते।


इस घटनाक्रम से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया कि भाजपा मूल रूप से महिलाओं की विरोधी है यह भाजपा के जीन में है। जिस आरएसएस ने वर्षों तक महिलाओं को अपने संगठन से दूर रखा जिस आरएसएस में आज भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं है उस आरएसएस की पोषित भाजपा की सरकार कैसे यह बर्दाश्त करें कि उसके सरकार के खिलाफ दो ऐसी महिलाएं मुखर हो कर बोल रही जो छत्तीसगढ़ जैसे दूरस्थ क्षेत्र के पिछड़े वर्ग और आदिवासी समाज से आती है।


भाजपा का यह आचरण इस दल का फासीवादी अधिनायकवादी रवैया है जो अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को किसी भी स्तर तक जा कर कुचलना चाहता है। संसद में जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ की दो महिला सांसदों एक आदिवासी वर्ग की फूलोदेवी नेताम और पिछड़ा वर्ग की छाया वर्मा इन पर जिस तरीके से भाजपा के पुरूष सांसदों ने और मार्शलों ने हमला किया वह बेहद और शर्मनाक है। छत्तीसगढ़ की महिला सांसदों का यह अपमान छत्तीसगढ़ के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। घूसे बरसाये गये इन महिला सांसदों पर धक्का देकर गिराया गया। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता इस बर्बरता और असंसदीय आचरण को उचित साबित करने के लिये राजधानी रायपुर में प्रेस कांफ्रेंस करते है, इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है?


भाजपा के सांसदों ने और संसद के मार्शलों ने छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति का और छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परंपराओं का अपमान किया है। संस्कारी प्रदेश छत्तीसगढ़ है इस पर कोई असहमति नहीं हो सकती है। लेकिन संसद में जो कुछ भी हुआ उससे तो संस्कार टूटे है।
बीमा विधेयक को पारित कराने के लिये संसदीय आचरण और मर्यादा को तार-तार करने वाले लोग छत्तीसगढ़ को और कांग्रेस को मर्यादा नैतिकता की शिक्षा न दें। भाजपा की नैतिकता और मर्यादा तो हम छत्तीसगढ़ के लोग भली-भांति जानते है।
नरेन्द्र मोदी जी भी छत्तीसगढ़ भाजपा के नैतिकता और मर्यादा के मानदंडों को बखूबी जानते समझते है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर्यवेक्षक बन के वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ में आये थे और उनके साथ जो कुछ हुआ उसको वे भी नहीं भूले होंगे और छत्तीसगढ़ के लोग भी नहीं भूले हैं। इसके पहले भी किसान विरोधी तीन काले कानूनों को पास कराने के लिये ऐसी ही अलोकतांत्रिक कार्यविधि अपनाई गयी थी। केन्द्र के तानाशाही सरकार ने सदन की गरिमा को तार-तार कर दिया। सदन में महिला सांसदों का अपमान बहुत ही निंदनीय है। भारतीय जनता पार्टी ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है।


राज्यसभा संसद मे महिला सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की घटना बहुत ही निंदनीय एवं शर्मनाक घटना है। भारतीय जनता पार्टी के महिला विरोधी चरित्र का ये जीताजागता सबूत है जिसे देश की 139 करोड़ की जनता ने देखा है।
आज देश की राजधानी दिल्ली में नारी शक्ति का अपमान हुआ। महिला सांसदों के साथ ऐसा अपमान संसद में हो सकता है तो समान्य महिलाओं के साथ कितना अत्याचार होता होगा। राज्यसभा सांसद फूलो देवी नेताम को संसद में मार्शल द्वारा धक्का दिया गया जिससे वह नीचे गिर गई हाथ व पैर में मोच आ गई है। भाजपा का यही असली चेहरा है महिलाओं का अपमान करना। इस घटना को इतिहास कभी भूल नहीं पायेगा।

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